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भारतीय सविधानं के भाग, ( parts of the indian Constidtution)सविधानं में भाग क्यों बनाये गए?25 भाग ,12 अनुसूची

भारतीय सविधानं के भाग ,सबंधित विषय एवं उससे सबंधित अनुच्छेद।

जैसा कि हम जानते है भारतीय सविधानं विश्व के सबसे बड़ा लिखित और व्यापक सविधानं है, इसकी भाषा बहुत जटिल है, माननीय सर्वोच्च न्यायलय सविधानं की व्याख्या का काम करता है,

Q. सविधानं में भाग क्यों बनाये गए?

जैसा की हम जानते है, लगभग अनुच्छेद और एक्ट मिलाकर कुल 470 अनुच्छेद है, 25 भाग ,12 अनुसूची ,इस तरह से सविधानं थोड़े उबाऊ से लगने लगता है,

जिस तरह से सामान्य किताबों में ,पहले पनन्ने में कहानी/ कविता, लिखी रहती उसके साथ पेज नंबर होता अर्थात पेज नंबर ,X से पेज नंबर Y तक यह कहानी है,  


उसी तरह 22 भाग में कुल 396 अनुच्छेदों को समिल्लित किया गया है ,जो इस प्रकार है।
वैसे एक से कुल 22 तक ही भाग है लेकिन बीच मे संसोधन करके 3 नए close उसमे add किये जा चुके है इश्लिये कही पर 22 देखेंगे तो कही पर 25



भाग ( parts)           विषय।           articles

(1).  I             संघ और उसका राज्यक्षेत्र  (1-4)
(2). II             नागरिकता   (5-11)
(3). III           मूल अधिकार   (12-35)
(4). IV           राज्य के नित्ति निर्देशक तत्व  ( 36-51)
(4). (A)          मूल कर्तव्य (fundamental Duties (51A/51क)

(5). V            संघ ( the union)   (52-151)
(6). VI           राज्य ( State)   (152-237)

(7). VII          पहली अनुसूची के भाग ख  के राज्य - सविधानं( सातवां संसोधन) अधिनियम 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित (238)

(8). VIII        केंद्र शासित प्रदेश (the union terriotories)  (239-242)
(9). IX           पंचायते   (243-243 O)
(9)  IX(A)      नगरपालिकायें   (243P- 243ZG)
(9)  IX(B)      सहकारी समितियां   (243H-243ZT    

(10). X          अनुसीचित और जनजातीय क्षेत्र   (244-244A)      
(11). XI         संघ और राज्य के मध्य  विधायी सम्बंध को दर्शाता है।   (245-263)
(12). XII        वित्त ,सम्पति  सविदायें और वाद   (264-300A)
(13). XIII       भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार ,वाणिज्य एवं समागम   (301-307)
(14). XIV       संघ और राज्यो के अधीन सेवाएं   (308-323)
(14)  XIVA    अधिकरण Tribunals   (323A-323B)

(15). XV      निर्वाचन   324-329A
(16). XVI     कुछ वर्गों के स्वन्ध में विशेष उपबन्ध( अनुसूचित जातियों ,अनुसूचित जनजातियों पिछड़े वर्गों एवं आंग्ल- भारतीयों के सबन्ध में विशेष उपबन्ध    (330- 342)

(17). XVII    राज्यभाषा   (343-351)
(18). XVIII   आपात उपबन्ध ( emergency provisions)   (352-360)

(19). XIX.     प्रकीर्ण (miscellaneous)   (361-367)
(20). XX.      सविधानं का संसोधन    (368)
(21). XXI      अस्थाई, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध   (369-392) 

(22). XXII    संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिंदी, में प्राधिकृत पाठ और निरसन।   (395-395)



magadhias






आशा करता/ करती हु  भारतीय सविधानं के भाग से स्वन्धित confution दूर हुई होगी।

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