रॉबिन जॉर्ज कोलिंगवुड एक प्रसिद्ध एवं विद्वान आंग्रेजी दार्शनिक ,इतिहासकार एवं पुरातात्विक है।
कहते है न जिंदगी लंबी नही बड़ी होनी चाहिए ,इस वाक्य को सत प्रतिशत प्रमाणित हमारे सनातन धर्म के महान दार्शनिक एवं धर्मनिपेक्षता के प्रवर्तक आदि गुरु शंकराचार्य है जो की उनके जीवन से बेहतर उदाहरण नही हो सकता, कम उम्र में ही कोलिंगवुड वह कार्य कर चुके है जो एक आदर्श है,
इतिहासकार की संसार मे रॉबिन जॉर्ज कोलिंगवुड एक महत्वपूर्ण स्थान रखते है। क्योकि इतिहास विषय पर उनकी महत्वपूर्ण अवधारणाएं एवं महान विचार से इस विषय की महत्व बढ़ जाती है
"कोलिंगवुड की कथन"Collingwood's statement
"इतिहास अतीत एवं वर्तमान के मध्य चलने वला अन्तिहन्न संवाद है"
यह कथन हमारे इतिहास विषय को एक परिभाषा प्रदान करता है।
रॉबिन जॉर्ज कोलिंगवुड
जन्म 22 फरवरी 1889 cartmel Lancashire's (England)
मृतु 9 जनवरी 1943 Consiton Lancashire's (England)
- प्रसिद्ध पुस्तक - famous book
1.The principal of Art (1938)
2.The Idea of History(1946)
- 20वी सदी के महान दार्शनिक ,इतिहासकार, पुरातात्विक
निम्नलिखित पुस्तक राबिन जॉर्ज कॉलिंगवुड द्वारा लिखी गई?
1.दि आइड्डिया ऑफ हिस्ट्री
यह पुस्तक में कुल पाँच अध्याय है।
1- Greco Roman Historygraphy
2- The Influence of Christianity
3- The threshold of Scientific History
4- Scientific History
5- Epilogomena
2.स्पेकुम मेन्टिस
3.रिलीजन एंड फिलोसॉफ
कॉलिंगवुड द्वारा लिखित दि आइडिया ऑफ हिस्ट्री पाँच भागों में विभाजित है।
इसके प्रथम चार भागों में कॉलिंगवुड ने अन्य विचारकों के सिद्धांतों का आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जबकि पंचम भाग में अपने स्वतंत्र विचारों के प्रतिपादन किया है।
1-कॉलिंगवुड की मृत्यु के बाद 1946 में यह पुस्तक प्रकाशित हुई थी।
कॉलिगवुड के इतिहास दर्शन संबंधी विचार एवं कथन ।
1- सभी इतिहास विचार का इतिहास होता है।
2-विचारों को इतिहास, इतिहासकार के अपने मस्तिष्क में भूतकाल के विचारों का पुनर्जीवन है।
3-कॉलिगवुड के अनुसार प्रत्येक युग को अपना इतिहास पुन लिखना चाहिए।
4-कॉलिगवुड की धारणा है कि ज्ञान और निर्माण का घनिष्ठ सम्बन्ध है, मनुष्य उसी वस्तु को समझ सकता है। जिसे उसने बनाया हो।
कॉलिगवुड के इतिहास दर्शन के संबंध में कथन है ।
1.कॉलिगवुड के अनुसार व्यक्ति की ऐतिहासिक प्रक्रिया का विषय बन सकता है, क्योंकि वह ही अपनी क्रियाओं को विचारों में अभिव्यक्त करता है।
2. इतिहास का प्रयोजन आत्म ज्ञान की प्राप्ति है।
3.कैंची तथा गोंद शैली व कबूतरी सुराख जैसी नियम विधाओं का प्रतिपादन किया।
यह लेख NET, JRF एवं Assistant professor के प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर लिखी हुई है लेकिन अन्य परिक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है जिसमे ,UPSC, BPSC ,MPPSC आदि है।
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