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पाकिस्तान के 44% भाग बलूचिस्तान की भौगोलिक स्वरूप एवं पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाह रहा तथा भारत पर इसका प्रभाव। (UPSC,PCS,NET,JRF)

बलूचिस्तान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (Write short note on Baluchistan.।

https://www.magadhias.com/2023/02/44-upsc-pcs-article.html
photo:magadhIAS

पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान 1947 से पहले बलूचिस्तान एक स्वतंत्र क्षेत्र था, लेकिन कट्टरपंथी मोहमद अली जिन्ना ने 1948 में जबरन सेना भेजकर उस पर कब्जा किये हुए है जो अभी भी है, बलूचिस्तान प्रारंभ से ही इस चीज का विरोध करते आया है, पाकिस्तान में किसी भी राजनीतिक दल के सरकसर बनती हो सबने बलूचिस्तान की भूमि का दोहन किया है, लेकिन वहां के लोगो को उसका हक नही दिया, सारा कीमती तत्व एवं खनिज को पंजाब और सिंध तक ही समिति रखा गया, बलूचिस्तान पूरे पाकिस्तान  का 44% भाग है,  यहां की जनसंख्या मात्र 1 करोड़ 25 लाख के आस पास है, लेकिन फिर भी खनिज एवं अन्य तत्व से परिपूर्ण बलूचिस्तान से इन लोगो का कोई फायदा नही । यहां अभी भी अत्यंत गरीबी ,शिक्षण संस्थानों की कमी, बिजली पानी की कमी  है,  और ऊपर से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के बड़े क्षेत्र को चीन के हाथों सौप दिया है, चीन इस क्षेत्र में, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का निर्माण कर रहा, जिससे इस क्षेत्र का दोहन तो बहुत हो रहा,पर इसका एक प्रतिशत भी बलूच लोगो के कल्याण में नही लगाया जा रहा।


भारत-पाकिस्तान की आजादी के समय कई सौ रियासतें थीं उनमें से 565 रियासतें भारत में शामिल हो गयीं थीं। अगस्त 1947 में मुहम्मद अली जिन्ना ने बलूचिस्तान को स्वतंत्र दर्जा देने को कहा लेकिन पाकिस्तान ने 1948 में सेना भेजकर उस पर कब्जा कर लिया। बाद में बलूचिस्तान के शासक थार खान ने विलय की संधि स्वीकार करते हुए पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय लिया। उसके बाद बलूच और पाकिस्तानी सेना के बीच संकट की स्थिति पैदा होती रही। लगभग

बलूच राष्ट्रवाद (Baloch Nationalism)


बलूचों को शुरू से ही ज्यादतियों का सामना करना पड़ा। 1971 में पाकिस्तान में पंजाबियों के बढ़ते प्रभाव से पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों ने 1971 के युद्ध के बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसी समय बलूचिस्तान के अल्पसंख्यकों में अलग होने की इच्छा हुई। तत्पश्चात् बलूचों को अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास के मद्देनजर एक अलग पहचान बनाने का एहसास हुआ। बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन की सफलता के बाद बलूच लोगों में भी राष्ट्रवाद की भावना जाग्रत हुई। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने उनके हर संघर्ष को कुचलने का प्रयास किया ।

आर्थिक अलगाव (Economic Isolation)


2000 के शुरूआती समय में फिर भी बलूचिस्तानियों और सेना के बीच संघर्ष हुआ । इस बार मुद्दा जातीय राष्ट्रवाद का नहीं था बल्कि आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण की मांग भी विकास के प्रोजेक्ट सरकार ने शुरू किए हैं। उसका बलूचिस्तान प्रांत को उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है।

हाल में उनका प्रमुख विरोध पाकिस्तान-चीन आर्थिक सहयोग से बन रहे ग्वादर बंदरगाह को लेकर है क्योंकि यहाँ पर जो निर्माण कार्य चल रहा है उसमें ज्यादातर पंजाबी काम कर रहे हैं जबकि ज्यादातार बलूच इंजीनियर बेरोजगार हैं। बलूचिस्तान की प्रतिक्रिया

कई बलूच राष्ट्रवादी संस्थाओं ने भारतीय प्रधानमन्त्री का उनके प्रति सहानुभूति जताने के लिए स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जब कोई एक भी देश उन पर हो रहे अत्याचारों की आवाज उठाने के लिए खड़ा नहीं हुआ ऐसे समय में भारतीय प्रधानमन्त्री का बलूचिस्तान के समर्थन में खड़ा होना स्वागत योग्य है ।

भारत की बलूचिस्तान का समर्थन की नीति भारत बलूचिस्तान का समर्थन करके दुनिया को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान किस तरह आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है और मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। यह भारत के लिए चीन-पाकिस्तान के बढ़ते रिश्तों के बीच सामरिक दृष्टि से लाभप्रद है। भारत के बलूचिस्तान के समर्थन से चीन-पाकिस्तान द्वारा बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, जो बलूच प्रांत के नजदीक बनाया जा रहा है, उसमें रूकावट आने पर सारा दोष भारत पर मढ़ा जाएगा। पाकिस्तान द्वारा गिलगिट, बाल्टिस्तान तथा पाक अधिकृत कश्मीर में की जा रही ज्यादतियों के जवाब में भारत ने ऐसा मुद्दा उठाया जिससे पाकिस्तान में बौखलाहट उत्पन्न हो गयी है।


प्रधानमन्त्री के बलूचिस्तान को समर्थन का साफ तौर पर यह संकेत है कि भारत कश्मीर मुद्दे पर दबाव में नहीं है। बलूचिस्तान की समस्या की प्रमुख वजह जातीय एवं धार्मिक भेदभाव है, इसके अलावा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी भी खास वजह है। पाकिस्तान के लिए बेहतर होगा कि इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप हो इस मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास करें।

बलूचिस्तान के आम जनमानस  ने कभी भी पाकिस्तान सरकार को स्वीकार नही किया, आज भी बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ रहे है,  पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी ( ISI)  बलूचिस्तान के सैकड़ो नेताओ लाखो युवाओं को गायब कर दिया किसी को आज तक पता नही चला।।  

बलूचिस्तान के आजादी के लिए अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, कनाडा , जर्मनी आदि देशों में रह रहे बलूच लोग संघर्ष  कर रहे है,    BLA( Baluchistan Liberation Army ) एक बलूच रास्ट्रवादी संगठन है जो अपने उग्र तरीके से बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग एक राष्ट्र बनाने की कोशस कर रहा।

भारत के लिए क्या सही है।

पाकिस्तान सुरु से कश्मीर के द्वारा पूरे भारत मे अराजकता, धार्मिक हिंसा, इश्लामिक कट्टरपंथी विचार धारा को बढ़वा दिया है, जिसके कारण यहां के मुश्लमान प्रेरित होकर,  हिन्दू ,बौद्ध सिख लोगो की हत्याएं करते है, कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार इन्ही इश्लामिक विचारधारा का एक अंश है। 

चाणक्य नीति के अनुसार पाकिस्तान की कमजोरियों पर आघात करने की आवश्यकता है, पाकिस्तान एक ज्वालामुखी पर बैठ है, जिसके नीचे, सिन्धुदेश, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा आदि स्वतंत्र होने के राह पर है,   भारत को बस इनलोगो का वैशिक मंच पर आवाज उठाने की जरूरत है, पाकिस्तान तिन भागो में विभाजित हो जाएगा, जिसमे 
1.bluchistan
2.sindhudesh
3.pashtunistan

और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जो भारत का हिस्सा है ,इसका भी किसी दिन भारत मे विलय तय है,   भारत को चाहिए कि इन आंदोलनो को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर। अगर पाकिस्तान बाज नही आता है तो।



धन्यवाद।।

    

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