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इतिहास लेखन में विपिन चंद्र के योगदान का वर्णन करें। ,Describe the Contributions of Bipin Chandra in historiography (UPSC,PCS,SI,SSC)

Bipn chandra was an indian historian,बिपन चंद्र एक भारतीय इतिहासकार थे,


    Bipin chandra 1979 - photo :wikipedia


विपिन चन्द्र का जन्म 1928 में कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज (लाहौर) और स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय केलीफोर्निया में हुई। वे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याल में प्रो. रहे हैं और भारतीय राष्ट्रवाद पर उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। वे भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और आधुनिक इतिहास लेखन परम्परा में मार्क्सवादी चिंतनधारा के इतिहासकार थे। उनकी मृत्यु 30 अगस्त 2014 में गुरुग्राम में हुई ।

बिपिन चन्द जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान संस्थान के ऐतिहासिक अध्ययन केन्द्र में प्रोफेसर एमेरिटस थे। वर्तमान में ये नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। इन्होंने आधुनिक भारत के संदर्भ में कई पुस्तके लिखीं जैसे आधुनिक भारत का इतिहास, भारत का स्वतंत्रता संग्राम, समकालीन भारत, आधुनिक भारत में विचारधारा और राजनीति |

उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बनाए गए और 2012 तक इस पद पर रहे । वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे।

बिपिन चंद्रा का राजनितिक जीवन Political life of Bipin Chandra

बिपिन चन्द्र को 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे। उन्होने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है। उन्होंने जयप्रकाश नारायण और आपात काल पर भी पुस्तकें लिखी ।बिपिन चन्द्र प्रतिबद्ध मार्क्सवादी इतिहासकार थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने मार्क्सवाद की परम्परागत रूढ़ियों से अलग नए तर्क और निष्कर्ष प्रस्तुत करना शुरू किए. वे कम्युनिष्ट पार्टी के लिए बेगाने हो गए।

रूढ़िवादी मार्क्सवाद के नजर में उपनिवेशवादी आंदोलन बुर्जुआ हितों का पोषक या पूँजीपति समर्थक आंदोलन था। बिपिन चन्द्र के लिए यह सभी वर्गों को साथ लाकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद का एकजुट मुकाबला करने वाला राष्ट्रीय आंदोलन था।

रजनीपामदत्त जैसे कम्युनिष्ट इतिहासकारों के लिए गाँधी जी क्रांति को यह के रोड़ा थे। विपिन के लिए गाँधीजी दुनिया के सबसे बड़े राजनेता और क्रांतिकारी थे जो किराज के खिलाफ लड़ने के अलावा भारतीय समाज के अमूलचूल परिवर्तन के लिए कार्य कर रहे थे।

बिपिन चंद्रा की पुस्तक को पढ़ना और समझना काफी आसान है Bipin Chandra's book is quite easy to read and understand


अकादमिक लेखन की दृष्टि से कहें तो बिपिन चंद्र भारत के विश्व बुद्धिजीवी थे । आधुनिक भारतीय इतिहास का शायद ही कोई ऐसा आयाम था जिसे लेकर उनकी बहस ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज की साम्राज्यवादी इतिहास लेखन परम्परा से न हुई हो ।वहीं दूसरी तरफ इतिहास में रूचि रखने वाले आम भारतीय पाठक के लिहाज से कहें तो बिपिन चंद्र भारत के सबसे लोकप्रिय इतिहासकार थे। 

एक पारम्परिक इतिहासकार अमूमन शुष्क ऐतिहासिक लेखन को ही इतिहास मानता है। लेकिन विपिन चंद्र के लिए इतिहास का आम पाठक ही इतिहास का सबसे बड़ा श्रोता था। लाखों की तादाद में बिकी उनकी पुस्तकें इस बात की गवाह है। भारत में शायद ही कोई ऐसा घर हो जिसमें उनकी पुस्तकें विद्यमान न हो।

bipin chandra book history of modern india pdf: magadhIAS

उनकी किताबें इतनी सरल और सहज भाषा में लिखी हैं कि वे किसी भी सामान्य पढे-लिखे व्यक्ति के मन में दिलचस्पी पैदा कर देती है। फिराक गोरखपुरी कहते थे कि साहित्य इतना सरल होना चाहिए कि आठ साल के बच्चे से लेकर अस्सी साल के बूढ़े तक को समान रूप से समझ आए। बिपिन चंद्र की कृतियाँ इसे पूरा करने में सक्षम हैं। कहा जा सकता है कि वे भारतीय राष्ट्र की इतिहास दृष्टि को तरासने वाले इतिहासकार थे। यही वजह है कि दिल्ली के उच्च अकादमिक केन्द्रों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों तक आधुनिक भारत के इतिहास पर चली कोई बहस बिपिन चंद्र के बिना पूरी नहीं होती।

भारतीय शिक्षण संश्थानो में बिपिन चंद्र का योगदान Bipin Chandra's contribution to Indian educational institutions


1960 के दशक में एनसीइआरटी ने बच्चों के लिए इतिहास की स्तरीय पाठ्य पुस्तकं लिखवाने का निर्णय लिया था। जब इस काम के लिए रोमिला थापर आदि से सम्पर्क किया गया तो उन्हे यह काम हाथ में लेने से संकोच हुआ ।

उनका मानना था कि पोस्ट ग्रेजुएट और रिसर्च स्कॉलर्स को पढ़ाने वाले उन जैसे लोगों के लिए छोटे बच्चों के लिए सरल भाषा में पाठ्य पुस्तकें लिखना बहुत कठिन काम है। लेकिन बिपिन ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि अगर हम सबके अंदर थोड़ा सा भी सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना और राष्ट्रप्रेम है तो हमें बच्चों के लिए यह किताब जरूर चाहिए।

आज के कठिन राजनीतिक परिदृश्य में विपिन की कुछ अन्तदृष्टियों बहुत प्रासंगिक हो उठी है। उनका हमेशा से मानना था कि साम्प्रदायिक ताकतों की राजनीतिक सत्ता पर काबिज होते ही सांप्रदायिक दल लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों का गला घोंट देंगे।

गैर-कांग्रेसवाद की सीमाओं को भी वो भली-भाँति पहचानते थे और इसलिए आरएसएस जैसे दक्षिणपंथी चुनौती के सामने वे कांग्रेस के नेतृत्व में सभी धर्म निरपेक्ष दलों को साझा मोर्चा बनाने की हिदायत अपने लेखन के माध्यम से देते थे।

गाँधीजी की हत्या के बाद आरएसएस जिस कदर हाशिये पर चला गया था। इसके लिए इस तरह के अवसरवादी राजनीतिक गठबंधन संजीवनी बन गए। जबकि कांग्रेस को हटाकर जो निर्वात राजनीति आकाश में पैदा होना था उसे भरने की ताकत किसी गैर कांग्रेसी दल में नहीं थी किंतु मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने इस परिकल्पना को चकनाचूर कर दिया।


उनका मानना था कि साम्प्रदायिक ताकत का मुकाबला करने के लिए उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवाद और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विरासत सबसे प्रभावी हथियार है। वे हमेशा | यह भी मानते थे कि साम्प्रदायिकता खुद में राष्ट्रवाद की विरोधी विचारधारा रही है क्योंकि आजादी की लड़ाई के दौरान मुस्लिम लीग और आरएसएस जैसे साम्प्रदायिक दलों ने अंग्रेजों का साथ देते हुए कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रवादी आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की थी। यानी उनके मुताबिक सम्प्रदायिकता का मुकाबला राष्ट्रवाद के हथियार से ही किया जा सकता है।

इसके अलावा उनका मानना था कि वे सभी धाराएँ और नायक लोकतंत्र धर्म निरपेक्षता और गरीबी के प्रति पक्षधारता जैसे मुद्दों पर पूर्णतः एकमत थे। चूँकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने अपने समय के श्रेष्ठ बुद्धिजीवियों को राजनीतिक पटल पर सक्रिय कर दिया था, उनके बीच वैचारिक मतभेद लाजमी थे लेकिन इन मतभेदों का स्वरूप पूरी तरह राजनीतिक और व्यापक था न कि व्यक्तिगत और क्षुद्र ।

भारत में साम्प्रदायिकता को लेकर बिपिन की समझ बहुत गहरी और बारीकी थी। यही वजूद है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में दो लोकप्रिय किताबों को हटाने का निष्फल प्रयास किया है।

आजादी की लड़ाई की हमारी वर्तमान ऐतिहासिक समझ के लिए हम सब विपिन के ऋणी हैं। एक प्रबुद्ध विचारक की तरह वे न सिर्फ हमें स्वाधीनता संघर्ष के इतिहास से • परिचित कराते हैं बल्कि उसे वर्तमान संदर्भ जोड़ते हु,ए एक विचारधारा का निर्माण भी कहते हैं। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में हम कह सकते हैं कि इतिहास लेखन में बिपिन चंद्र का योगदान अविस्मरणीय व अतुल्यनीय है। इसने भारतीय इतिहास लेखन को एक नई दिशा दी है।


हर सिविल सर्विस, यूपीएससी, पीसीएस आदि की तैयारी कर रहे छात्रों की टेबल पर बिपिन चंद्रा की किताब उपलब्ध है।

बिपिन चंद्र इतिहास पुस्तक सूची - Bipin Chandra History Book List  हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध है


1.Emergence and Growth of Economic Nationalism in India 

2.Colonialism and Nationalism in Modern India

3.Communalism in Modern India

3.History of Modern India

4.India's Freedom Struggle (written with Mridula Mukherjee, Aditya Mukherjee, KN Panicker and Sucheta Mahajan)

5.आजादी के बाद का भारत (India after independence)


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Bipin Chandra's book is available on the table of every student preparing for Civil Services, UPSC, PCS etc.

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