मई 2022 में भारत अपने जरूरत का 16% प्रतिशत तेल का आयात रूस से किया है।
रूस - यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरास्ट्रीय बाजार में चल रही उथल पुथल की वजह से ,द्विपक्षीय सबन्ध बन रहे, बिगड़ रहे,
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता (Consumer) देश है और इसका 80% से भी जयदा भारत खाड़ी देशों व देशों से आयात करता है
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source;- Refinitive Oil Research,january 2022 magadhIAS |
रूस अपने कुल तेल उत्पादन का 61% यूरोपीय देशों को बेच रहा है वही दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश भारत बन चुका है। रूस अपने कुल कच्चे तेल के उत्पादन का 18% भारत को निर्यात कर रहा है जो एक ऐतिहासिक अस्तर पर पहुच चुका है। और दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार जहां $ 8-9 Billion dollar पर झूल रहा था वो अब $14-15 Billion डॉलर तक जा पहुचा है।
चर्चा में क्यों.?
भारत को तेल निर्यात के मामले में रूस ने Saudi Arabia को पीछे छोड़ दिया है। अब रूस भारत को कच्चे तेल निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है इराक अभी भी भारत को तेल निर्यात करने के मामले में पहले स्थान पर बना हुआ है। लेकिन जानकारों ल्जा कहना है अगर ऐसे ही चलता रहा तो इराक को surpass करने कुछ समय लगेंगे लेकिन यह बहुत जल्दी होता प्रतीत हो रहा है।
ओधोगिक आंकड़ा के अनुसार रूस ने मई में भारत को करीब 2.5 करोड़ बैरल तेल रोजाना आपूर्ति की है। यह भारत के कुल आवश्यकता का 16% है । तेल आयातक के मामले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।। चुकी सऊदी की जगह रूस ने ले ली है इश्लिये सऊदी अरब भारत को तेल निर्यात करने के मामले में तीसरा स्थान पर है
1. इराक
2. रूस
3. सऊदी अरब
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source:-kpler,june 2022 magadIAS |
रूस- यूक्रेन युद्ध से पहले रूस अपने कुल तेल निर्यात का 1 या 2 प्रतिशत भारत को निर्यात करता था । लेकिन इन 100 दिनों में जिस प्रकार कच्चे तेल की दाम अंतरास्ट्रीय बाजार में बढ़ रहे है। 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुच चुका है। भारत जैसे विकाशील देश जो अपने विकास के पथ पर बहुत तेजी से बढ़ रहे है, ऐसे में तेल बढ़ती कीमत अर्थव्यवस्था एवं सरकार का वजट बिगाड़ने के लिए काफी है।। चुकी रूस अंतरास्ट्रीय बाजार के मुकाबले 20-30% सस्ते दामों में तेल बेचने सुरु किया। भारत इसI का लाभ उठाते हुए। रियायती दरों में तेल खरीदना सुरु किया।। जो 1% से बढ़कर 18% हो चुका है।
यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के कारोबारी प्रतिबंध लगा रखा है। इस कारण कई देशों ने रूस से तेल नही खरीद रहा था।। चुकी भारत की विदेशनीति एवं शक्तिशाली राष्ट्र होने का महत्व को विश्व भी समझता है, यही कारण है भारत अपने नागरिकों के हित मे स्वतंत्र निर्णय ले सकने में सक्षम है। रूस- यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रहते हुए भी भारत ने अपना नजरिया व रणनीति को अष्पष्ट रखा। और भारतीय तेल कम्पनियों को फायदा हुआ और उन्हें मई में सस्ती दरों पर रेकॉर्ड तेल आयात किया। परिवहन लागत ज्यादा होने के कारण सामान्य तौर पर भारतीय कम्पनियां रूस से कम तेल खरीदती है।। लेकिन रूस- यूक्रेन युद्ध ने सारा खेल बिगाड़ दिया है।
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