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दिलवाड़ा जैन मंदिर, जैनधर्म के प्रमुख स्थल, लूना वसाहि मंदिर, विमलसाही। मंदिर। इसकी निर्माण 12वी से 13वी शताब्दी के बीच हुई थी।

दिलवाड़ा जैन मंदिर, जैनधर्म के प्रमुख स्थल/


जैनधर्म के लोगो के सबसे शु प्रसिद्ध मंदिर। दिलवाड़ा मंदिर है, जो राजस्थान में सिरोही जिले माउंट आबू शहर में स्थित है।
इस मंदिर का उच्चारण दिलवाड़ा मंदिर या देलवाड़ा भी कह कर करते है।। इसकी निर्माण 12वी से 13वी शताब्दी के बीच हुई थी।
यह शानदार और कला के बेजोड़ प्रतीक जैन धर्म के तीर्थकरों को समर्पित है।

 
दिलवाड़ा मंदिर में ही बहुत से मंदिर है ,उसी में से एक विमल वासाही मंदिर प्रथम तीर्थंकर ( ऋषभदेव) को समर्पित है

इसकी निर्माण लगभग 1031 ईसवी में हुई थी,

जैनधर्म के 22वे तीर्थंकर नेमिनाथ के सम्मान में लूंंन वासाही  मंदिर भी काफी लोकप्रिय है।

प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक आते है,इसकी महान सँस्कृति और अनमोल धरोहर को देखने।

दिलवाड़ा मंदिर को 1231 में  वस्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाइयों द्वारा बनाया गया था,


दिलवाड़ा मंदिर ,मंदिरों का एक समूह है जिश्मे कुल पाँच मंदिर है पांचों मंदिर संगमरमर से निर्मित है।

इसको स्तम्भों का मंदिर भी कहा जाता है, क्योकि  इस मंदिर में कुल 48 स्तम्भ है इन स्तम्भों पर बेजोड़ नृत्यशैली में आकृति बनी हुई है

खास कर 22वे  तीर्थकर नेमिनाथ के  लुंन वासाही मंदिर की कलाकृतियों की खूबसूरती और बारीकी देखकर कर मन मोहित हो जाती है, अद्भुत कारीगरी,नक्काशी देखने योग्य है।

संगमरमर पथरो को बारीकी से नक्काशी की गई है,  यह एक ऐसा अनमोल धरोहर है जो 21वी सदी में भी अपनी छाप छोड़ रही।

इसी मंदिर में तीर्थंकर आदिनाथ की जो मूर्ति है उनकी आंखें 

असली हीरे की बनी हुई है, इनको बहुअमूल्य रत्नों से सजाया गया है,   इस मंदिर में जैनधर्म के साथ साथ  हिन्दू देवी देवताओं की भी मूर्ति स्थापित है,

प्रवेश द्वार की भी नकाशी बेजोड़ है,जो प्रेम ,अहिंसा करुणा का संगम प्रतीक होता है,

विमलसाही।  मंदिर।

यह संगमरमर से पृरी तरह बनाया गया है ,इस मंदिर का निर्माण गुजरात के चालुक्य राजा भीम प्रथम उनके  

मंत्री।  विमल शाह ने लगभग 1031 ई में इस मंदिर को बनाया था ,यह मंदिर जैनतीर्थकर आदिनाथ को समर्पित है, 


लूना वसाहि मंदिर ,लुना वसाहि मंदिर जैनधर्म केे 22वे 


तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है, इसका भी निर्माण  1230ई में हुुआ था,
जैसा कि पहले।बता चुका हूं,वस्तुपाल और तेजपाल जो गुजरात के वाहेला के राजा थे

मंदिर में लगभग 360 से भी अधिक छोटे बड़े तीर्थकरों की मूर्तियां है ,संगमरमर की बहुत ही सुंदर 10 हाथी को बनाया गया है, जो खूबसूरती में अलग रंग बिखेरते है।

तीर्थंकर नेमिनाथ के मंदिर के बाई और एक काला बड़ा कृति स्तम्भ है स्थित है जिसेे मेवाड़ के महान शाशक महाराणा कुम्भा ने बनवाया था

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