Ticker

6/recent/ticker-posts

सैय्यद वंश (1414-1451) का संस्थापक खिज्र खां था जिसने ,रैय्यत- ए- आला की उपाधि धारण किया था।

सैय्यद वंश 1414-1451 इस वंश के संस्थापक खिज्रखां था। 


magadhIAS
/The Sayyid dynasty  


इस वंश के शाशक निम्न है।

1- खिज्रखां (1441-1451)
2- मुबारक शाह (1421-1434)
3- मुहम्मद शाह (1434-1445)
4- अल्लुदीन आलम शाह(1445-1451)

1- खिज्रखां (1441-1451)


इस वंश के संस्थापक खिज्रखां था, इस वंश का उत्कर्ष मंगोलों के आक्रमकता के कारण हुआ। और यही कारण है कि सैय्यद वंश कभी भी एक स्वतंत्र शाशन स्थति धारण नहीं किया।

मंगोलों की सर्वसता की स्वीकृति के प्रतीक स्वरूप उसने खुतबे  में मंगोल शाशक
तैमूर के बेटा शाहरुख के नाम का उल्लेख किया है।

इस प्रकार यह द्विविधिता- मध्यकालीन भारतीय इतिहास में अभूतपूर्व थी। सम्भवतः अपनी स्थिती को मजबूत बनाये रखने के लिए सैय्यद शाशको ने मंगोलों और तुगलकों से अपने संबंधों बेहतर बनाये रखना चाहते थे 

खिज्र खां  " रैय्यत- ए- आला(तैमूर द्वारा प्रदत्त उपाधि) 

दरार ए जज्बात खिज्र खा की वसीयत है
सैय्यद वंश के एक मात्र प्रमाण "तारीख ए मुबारकशाही( याहया सरहिंदी)


2- मुबारक शाह (1421-1434)


मलिक मुबारक सैय्यद वंश के प्रथम शाशक था ,जिसने शाह( सुल्तान) की उपाधि धारण की,व अपने नाम के सिक्के चलवाये व खुतबे में अपना नाम पढ़वाया।

राज्यारोहण के तुरन्त पश्चात मुबारकशाह को  जसरथ खोखर,तुगान रईस  के विद्रोहों का सामना करना पड़ा।
इसी के शाशन काल मे मेवात विद्रोह भी हुआ।


3-मुहम्मदशाह(1434-1445)


तारीख ए मुहम्मदी के अनुसार वह बुधा का पुत्र एवं खिज्रखा  का पौत्र था। मालवा के महमूद खिलजी का आक्रमण 1440 - से युद्ध हुआ जिसमें महमूद खिलजी को संधि करनी पड़ी।

आपसी रंजीसे बढ़ती रही। महमूदशाह की स्थिति यह हो गई कि दिल्ली के 20 करोह की परिधि में ही अमीर उसके विरोधी हो गए 1445 ई में 11 वर्ष की अपयशी शाशन के पश्चात सुल्तान मुहम्मदशाह की मृत्यु हो गई।



4- अल्लुदीन आलम शाह(1445-1451)

अल्लुदीन आलमशाह सैय्यद वंश के अंतिम शाशक था।
राज्यारोहण के पश्चात बहलोल लोदी  वअन्य सभी अमीरों ने उसकी प्रति निष्ठा प्रकट की। सैय्यद वंश के सबसे अयोग्य शाशक सिद्ध हुआ फरिश्ता के अनुसार 'अमीरों के द्वारा दिल्ली सल्तनत के लगभग सभी क्षेत्र हड़प लेने के पश्चात सुल्तान के पास केवल दिल्ली व पालम परगने बचे रहे"



व्यंग्यात्मक ढंग से कहा जाता था कि "सुल्तान की सत्ता दिल्ली से पालम तक फैली थी"



बहलोल लोदी का हस्तक्षेप- सुल्तान के बदायूं प्रस्थान के पस्चत दिल्ली दरबार के अमीरों में अपने षडयंत्र सुरू हो गए। अमीरों ने बहलोल लोदी को शाशन के बागडोर संभालने के लिए आमंत्रित किया।



बहलोल लोदी ने सम्राज्य के भलाई के लिए यह कदम जरूरी है कहकर  अलाउदीन को एक पत्र भेजा, अलाउदीन ने उत्तर में लिखा-  चूंकि मेरा पिता तुम्हे पुत्र कहता था और मुझे अपनी थोड़ी जरूरतों की व्यवस्था के लिए कोई चिंता न है इश्लिये मैं अपने बदायूं परगने से संतुष्ट हु और सम्राज्य तुम्हे दे रहा हु।

- बहलोल लोदी ने खुतबे व सिक्के से अलाउदीन आलमशाह का नाम हटवाकर 1451 में स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया

अलाउदीन आलम शाह एक साधारण अमीर के भांति 1476 तक जीवन जिया। अलाउदीन आलम शाह का जीर्ण शीर्ण का मकबरा बदायूं में स्थित है।









इस सैय्यद वंश के संक्षिप्त इतिहास से सबंधित किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न है तो आप विभिन्न social media अथवा comment करके पूछ सकते है,कोई सुझाव हो तो बता सकते है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ