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Write a short note on 73rd and 74th Constitution Amendment. (73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन पर संक्षिप्त टिप्पणी )

भारतीय सविधानं का 73वां एवं 74वां सविधानं संसोधन।

73rd and 74th Constitution Amendment
73rd and 74th Constitution Amendment


37. Write a short note on 73rd and 74th Constitution Amendment. (73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन पर संक्षिप्त टिप्पणी 


पश्चात्वर्ती संशोधनों में 73वें और 74वें संशोधन का विशेष महत्व है। ये 1992 में पारित हुए। इनके द्वारा राज्य से नीचे की इकाईयों के गठन के लिए निर्वाचन प्रणाली का समावेश किया गया है। ये इकाईयाँ हैं ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतें और नगरीय क्षेत्रों में नगरपालिकाएँ।


बार-बार संशोधन के खतरे-यह स्पष्ट है कि जैसा संविधान के कुछ आलोचकों ने प्रारंध के दिनों में धारणा बनाई थी। इसके विपरीत संशोधन की प्रक्रिया कठोर होने के स्थान पर अत्यधिक नम्य है। पिछले 71 वर्षों में जिस सरलता से 105 संशोधन हो गए हैं उससे यही प्रतीत होता है। 


जब तक केन्द्र में सत्तारूढ़ दल का संसद में और आधे से अधिक विधान मंडलों में ठोस बहुमत है तब तक निष्पक्ष संप्रेक्षकों को इस बात का भय नहीं होना चाहिए कि संशोधन करने में क्या कठिनाई होगी बल्कि इस बात की आशंका होनी चाहिए कि इसका प्रयोग राजनैतिक प्रयोजनों के लिए या सत्तारूढ़ दल की अवांछनीय प्रतीत होने वाले निर्णयों से छुटकारा पाने के लिए बार-बार नहीं किया जाए। न्यायाधीश भी भूल कर सकते हैं किन्तु यह भी हम देख चुके हैं कि अपने अनुभव के आधार पर सर्वोच्च अधिकरण अपने मत में परिवर्तन कर लेता है। 


जब तक गंभीर परिणाम न हों, या आपात परिस्थितियाँ न हों या विशेष आकस्मिकताएँ न हों (जैसे-सिक्किम का प्रवेश-35वां और 36वां संशोधन) तब तक अवांछित न्यायिक निर्णयों का अध्यारोहण करने के लिए संविधान संशोधन प्रक्रिया का आश्रय नहीं लेना चाहिए। इस प्रयोजन से बारंबार संशोधन करने से साधारण जन के मस्तिष्क में न्यायपालिका के प्रति अनादर का भाव जागेगा जो सांविधानिक सरकार की नींव हिला देगा।


सभी संशोधन जो संविधान में 24-4-1973 को यह उसके पश्चात् किए गए हैं और जिनको नौवीं अनुसूची में शामिल किया है, सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें उनका परीक्षण संविधाने की आधारभूत एवं अनिवार्य संरचना को ध्यान रखते हुए अनुच्छेद 21, 14, 19 में विहित सिद्धांतों के आधार पर मान्य करना है 24-4-1973 के पश्चात् नौवीं अनुसूची में डाली गई कानूनों को कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं होगी एवम् इन सभी कानूनों को मौलिक अधिकारों की उल्लंघन की प्रकृति और सीमा की संवैधानिक परीक्षण से ही संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त होगी।


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