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बिहार स्थित , खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी Khuda Baksh Oriental Library बिहार एवं विश्व का का अनमोल धरोहर/

खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी Khuda Baksh Oriental Library



खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी Khuda Baksh Oriental Library
Khuda Baksh Oriental Library:-magadhIAS


 
खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी, पटना में अशोक राजपथ  मार्ग पर स्थित, एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक  संग्रहालय है
 
यह लाइब्रेरी भारतीय साहित्य, कला, और भूगोल की अमूल्य रूप से रखी गई साहित्यिक सामग्री के लिए प्रसिद्ध है। यह लाइब्रेरी भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रेमी लोगों के लिए एक शिक्षा केंद्र भी है जो आपको विशेषज्ञता और ज्ञान में समृद्धि प्रदान करता है।

 
यह लाइब्रेरी इतिहास के शोध और अध्ययन को प्रोत्साहित करता है। इसमें अनगिनत मानविकी, पुरातात्विक, और सांस्कृतिक सस्त्रों का संग्रह है जो इस क्षेत्र की समृद्धि में योगदान करता है। विश्वभर में अपनी ऐतिहासिक महत्वपूर्णता के लिए प्रसिद्ध है। इस पुरातात्विक संग्रहालय में संस्कृत, परसी, अरबी, फारसी, उर्दू, बंगाली, और हिंदी ,रूसी तुर्किस भाषाओं के मौलिक ग्रंथ संग्रहित हैं,
खुदा बख्श लाइब्रेरी के बारे में About Khuda Bakhsh Library 

लाइब्रेरी निर्माण में खुदाबख्श खान  का कड़ी मेहनत/

 
इस लाइब्रेरी के निर्माण के पीछे मौलवी खुदाबख्श खान के समपर्ण लगन एवं कड़ी मेहनत  द्वारा देखी एक सुनहरी सपना था, जो 29 अक्टूबर 1891 को साकार हुआ जब इस लाइब्रेरी को जनता के सेवा में समर्पण किया गया /
 
ताड़ के पत्तों ,भोजपत्र ,खजूर के पत्तो, हिरण के खाल एवं  कपड़े ,पर लिखी 21,000 से अधिक पांडुलिपियाँ शामिल हैं। इसमें सुलेख उत्कृष्ट कृतियों के अलावा ईरानी, ​​मुगल, मध्य एशियाई, कश्मीरी और राजस्थानी स्कूलों की कलाओं का वैभव शामिल है। जो छवियों से लेकर हस्तलेखों तक कवर करते हैं।
 
लाइब्रेरी की 4 पांडुलिपियों (2 अरबी में और 2 फारसी में) को 2006 में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन द्वारा विज्ञान निधि (भारत का पांडुलिपि खजाना) के हिस्से के रूप में घोषित किया गया है। इस लाइब्रेरी के ऐतिहासिक सामग्रियों के अध्ययन हेतु देश- विदेश से जिज्ञासु वेक्ति आते है, एवं अपने ज्ञान में वृद्धि करते है।

कर्जन रीडिंग हॉल 


इस लाइब्रेरी के प्रांगण में एक कर्जन रीडिंग हॉल है। इस लाइब्रेरी में लार्ड कर्जन जो उंस समय भारत के वायसराय थे 1903 में खुदाबख्श लाइब्रेरी में आये थे। यहां उनके विजिटर बुक में ऑटोग्राफ भी मौजूद है। लार्ड कर्जन इस लाईब्रेरी  में क्या देखे या समझे सबकुछ विजिटर बुक में मौजूद है, कर्जन के याद में ही कर्जन रीडिंग हॉल बनवाया गया जो आज भी बड़े शान से खड़ा है एवं संचालित हो रहा। यहां विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुओं का जमावड़ा लगा रहता/

चर्चित वेक्तियो का आगमन

 
खुदाबख्श लाइब्रेरी में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू एवं रविंद्र नाथ टैगोर ,1925 में महात्मा गांधी  आ चुके है। रविन्द्र नाथ टैगोर इस लाइब्रेरी के तारीफ में बड़े सुंदर तरीके से विजिटर बुक में लिखे है । रविन्द्र नाथ टैगोर की हैंडराइटिंग  मनमोहक एवं सुंदर लगती है/
 
खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी, का नाम भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण स्थान है के रूप में है, भारत सरकार ने संसद में 1969 में पारित एक विधेयक के द्वारा इसे राष्ट्रीय महत्व के स्थान के रूप में प्रतिष्ठित किया , खुदाबख्श लाइब्रेरी  बिहार  के एक अदभुत अनमोल धरोहर है जिस पर भारत एवं विश्व गर्व करता है/
 
 

धन्यवाद ।

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