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विश्व में पहली बार हीरा भारत में पाया गया ,हीरों का इतिहास और भारत DIAMONDS FROM INDIA AND HISTORY

History of Diamonds

एक नया हीरा सवा करोड़ साल पुराना होता है। और एक पुराना 330 करोड साल के आस्पास। पुराने समय से लेकर 1700 के आस्पास तक हिंदोस्तान का एकक्षत्र राज था हीरे के व्यापार में.
हमारा साहित्य इसके बारे में क्या बोलता है? हमारे यहां क्या कहानिया है इसके बारे में? हम कितना जानते हैं इसके बारे में? हम तो सिर्फ एक कोहिनूर को जानते हैं. पर मैं आपके सामने पांच नाम ले रहा हूँ. क्या आप इन में से कोई भी एक को जानते हैं? 
Orlov Diamond.

orlov diamond ,magadhIAS
pic credit: wikipedia - Orlov Diamond


रशिया की महाराणी कैथरीन दे ग्रेट के राजदंड में लगा हुआ है. Black Orlov. कहा जाता है कि ये पॉंडिचरी में किसी मंदिर में था. Nassak Diamond. जो त्रेमबकेशवर में नासिक के पास शिवलिंग में 1500 से लेकर 1817 तक लगा हुआ था.
और फिर बाहर गया. तीसरे एंगलो मराठा युद्ध के बाद. Dresden Green Diamond. दुनिया का इकलोता सबसे बड़ा ग्रीन डाइमंड. और फिर Shah Diamond ये भी रूस में ही है. Nizam Diamond क्या जानते हैं इसकी बारे में हम?

Dresden Green Diamond ,india
pic credite : museumdiamonds
Dresden Green Diamond 


आइए इस सफर पर चलते हैं. बहुत रोचक होगा, बहुत आनन्द आएगा. चलिए चलते हैं. स्वागत है. हीरे के कहानी कहां से शुरू होती है? ये एक जियोलाजिकल स्टडी है. 


आज से 20 करोड साल पहले,एक सुपर कॉंटिनेंट था गुंडवाना, जिसमें साऊथ अमेरिका, जिसमें अफरीका, इंडियन सबकॉंटिनेंट,
अस्ट्रेलिया, और भी बहुत कुछ था. फिर वहां  बोलकैनिक-अक्टविटी के वजह से वो टूट जाता है । फिर इंडियन सबकॉंटिनेंट  तैरता हुआ एशिया के तरफ, बढ़ता है और आगे एशियन  सबकॉंटिनेंट को जाकर टकराता है।

जहाँ पे इंडियन सबकौंटिनेंट की प्लेट एशियन सब कौंटिनेंट के साथ हिट करती है वहाँ पे हिमालाय बना। और ये भी समझ़िए के डेकन के एरिया में जो थोड़ा सा सेंटर से साऊथ की तरफ है इंडिया में
वहाँ पे डेकन ट्रैप्स बनते हैं पाँच लाख स्क्वेर किलो मीटर का वॉल्कैनिक एरप्शन से बसाल्ट लावा फ्लड करता है उस पूरे एरिया को महाराष्ट्र है, मध्यप्रदेश है, आंध्रप्रदेश है, तेलंगाना है, आठ राज्य हैं उसमें कुल
और इस दोरान में जमीन के नीचे के जितने खनिज पदार्थ हैं उस वॉल्कैनिक एरप्शन के साथ बहार आते हैं हीरे भी उसके साथ आते हैं।

हीरा का एक मात्र स्रोत भारत था।


आज से 2000 साल पहले और उससे भी पहले सिर्फ इंडिया ही एक ऐसी जगा थी जहां पे डायमंड्स मिलते थे।
और डायमंड्स हमारे जो थे वो एलूवियल डायमंड्स थे मतलब रिवर बेड्ज पे मिल जाते थे कहीं ड्राइड रॉक्स के साथ मिल जाते थे वो इसलिए क्योंकि जिस समय वॉल्कैनिक इरप्शन्स हुई हैं उस वकत ये सारे डायमंड्स वॉल्कैनिक रॉक्स के साथ बाहर आये हैं,
और करोड़ो साल की weathring के बाद जो बारिश और रौशनी और धूप की कारण से होती है उसकी वजह से डायमंड्स लूज होके पानी के साथ रिवर बेड्स पे आके सेटल कर गए और जैसे जैसे रिवर ड्राई हुई या रिवर चलती रही ये डिसकवर होते रहें
जैसे के नूरु लैंड डायमंड दर्याय नूरु डायमंड ये दोनों इरान में हैं और ग्रेट मुगल डायमण्ड जो आधे अंडे जितना बड़ा 280 कैरेट का था । नादिर शाह के दिल्ली से जाने के बाद दे ग्रेट मुगल गायब हो गया।





ये रिकॉर्ड है कि ईसा से 200 साल पहले टॉलमी फिलेडलफस करके एक एजिप्शिन फराहो थे उनके प्रोसेशन में इंडियन्स आते हैं और अपने साथ परल्स, जेम्स और डायमंड (Pearl jems Daimonds)  लेके आते हैं
ये रिकॉर्ड है।
ईसा के 150 साल बाद रोम के पास एक छोटी सी बच्ची की एक कब्र मिली है जिसमें एक अंगुठी भी मिली है, जिसकेऊपर हीरे लगे हुए है।

रोमन वर्ल्ड में हीरे की अंगूठी आम बात थी। पर भारत जहाँ हीरे मिलते थे वहां कोई अंगूठी मिली ?
वहाँ कोई हमें इस प्रकार की जूलरी मिली?

अफगानिस्तान में आयेखानम करके एक जगह है वहाँ पे एक पिंक सिफायर की अंगुठी मिली है जो ईसा से 300 साल पुरानी है और उसके दोनों साइड्स के ऊपर दो ओक्टाहिडरल डायमंड्स है अभी ये एक बहुत important find है।
उसके बाद एक एअरिंग का एक चोटा सा टुकड़ा भी मिला है जिस पे बहुत सारे हीरे लगे होगे है ये भी एक बहुत important find है इसके साथ ही हमें एक रेलिक्वेरी मिली है बुद्धिस्ट रेलिक्वेरी जो किसी स्टूप में कहीं होगी  तक्षशिला में
उसमें भी एक diamond की हमको एक ring मिली है ये भी एक important find है अब हिंदुस्तान में jewelry diamond की कहा गई? क्यों नहीं है? 

तो इसके उपर जब हम research कर रहे थे ।तो हमने लिटरेचर की तरफ ध्यान दिया
हमने ये पाया कि अर्शशास्त्र में बहुत detail में दिया हुआ है कि एक अच्छा diamond कैसा होता है? कहां से source किया जा सकता है? क्या color होता है उसका? क्या shape होती है उसकी? गरुड़ पुरान में ये चीज बड़ी साफ साफ लिखी हुई है।
कि एक diamond जो अच्छा नहीं है या जिसमें कोई fault है उसकी value एक अच्छे diamond की one tenth होती है और गरुड़ पुरान में ये भी लिखा हुआ है कि Diamond एक औरत के लिए अच्छा नहीं है।

और फिर इसके अलावा बृहत्संहिता है अगस्त संहिता है, दर्शन कुमार चरित्र है जिसमें ये mentioned है कि diamond का एक trader यवन है यवन या तो ग्रीक या रोमन या एक अरब के लिए इस्तमाल होते थे।
उसके अलावा हमारे पास एक और literature है शिलापद्धिकारम जो South का है उसमें कननगी की story है उसमें हीरे के व्यापार के बारे में हीरे के बाजार के बारे में हीरे की taxation के उपर और बाकी gems के लिए भी
ये सारा detail में दिया हुआ है ये सब exist करता था हमारी व्यवस्था, हमारे society एक बहुत organized society थी जो इस व्यापार को और हीरे को अच्छे तरह से deal करना जानती थी।

आयुर्वेद में हीरे की भस्म का जिक्र है जो दवाई में इस्तमाल की जाती है और हीरे की भस्म बनाना कोई मामूली काम नहीं है हीरे को रगड  के उसका powder बनाना या हीरे को किसी और तरिके से उसका powder बनाना ये अपने आप में एक art है एक कला है।

जो आयुर्वेद के अनुसार हमारे चिकित्सकों ने निपुणता प्राप्त कर ली थी। तंजोर में अगर आप जाते हैं, वहाँ पे टेंपल्स के ऊपर inscription है कि क्या-क्या gift किया गया था टेंपल को। राजा की एक inscription में ये भी लिखा हुआ है।
कि मैंने एक बेल्ट दी है जिसके ऊपर 667 डाइमंड्स लगे हुए हैं। ये कोई 1000 साल पुरानी बात है। मार्कोपोलो और तिफाशी करके कुछ ट्रैवलर्स हैं जो इंडिया में आये थे। उन्होंने ये कहा है कि हमारे यहाँ पे जितने भी उनको इंडियांस मिलते हैं वो बहुत ज्वेलर्स और जेम्स पहने होते  है ,  और वो उपर से नीचे तक जेम्स और जूल और डाइमंड्स से लदे होते हैं।

और यहां हमको समझना है।
कि खाना आप कितना भी अच्छा बना लें, अगर परोसना नहीं आता, तो खाने का मज़ा अधूरा हो जाता है। हिंदुस्तान में हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग के ऊपर जादा ध्यान नहीं दिया जाता था। ये यूरोप में होना शुरू हुआ।

यूरोप में उन्होंने मशीन बनाई, जब हिंदुस्तान में हीरे को हीरे के खिलाफ रगड के पॉलिश की जा रही थी, वहाँ पर उन्होंने उसके लिए प्रॉपर मशीन बनाई। उस मशीन को पहले इंसान चलाता था। उसके बाद उन्होंने कहा नहीं, इस मशीन को तेज़ चलना है, ताकि अच्छे तरीके से काम हो, तो उन्होंने वाटर पावर का इस्तेमाल करना शुरू किया। जब वो ये सब कर रहे थे उंस समय भारत मे पॉलिस और कटिंग वही पुराने तरीके से चल रही थी।

एक बड़ी दिलचस्प कहानी है 1607 East India company के William Hawkins जहागीर के सामने प्रस्तुत होते हैं, जहागीर उनके सामने एक हीरे के पॉलिष करने वाले को बुलाता है और कहता है कि भई ये एक हीरा लो और इसको पॉलिष करो, काटो और पॉलिष करो उसने कहा कि मेरे को आप एक और कोई पुराना हीरा दे दीजिए ताकि मैं हीरे को हीरे के खिलाफ रगड के इसकी पॉलिशिंग कर सकूं। जहाँगीर हॉकिंग्स के सामने एक बहुत बड़ा ट्रंक मंगवाते हैं जिसमें उपर से नीचे तक हीरे ही हीरे होते हैं पर उनको उसमें एक भी खराब हीरा नहीं मिलता है उसी के बाद शाहजहां की भी कहानी है कि उन्होंने रिकॉर्ड किया है शाहजहानामा में कि बिहार के सूबा का जो गवर्नर था उसने उनके पास नौ अनकट डाइमंड्स भेजे और उनमें से एक डाइमंड्स 380  रक्ती का था कोहिनूर से भी बड़ा,अब जब सारी दुनिया हिंदुस्तान के हीरे के बारे में जानती थी। और अंग्रेज हिंदुस्तान में आ चुके थे डच हिंदुस्तान में आ चुके थे कि सूरत में अंग्रेजों ने अपनी फैक्टरी सेट अप की थी हमें ये भी आइडिया है कि सूरत में जो फैक्टरी थी वो पहली फैक्टरी थी पर नहीं पहली फैक्टरी मसूलीपट्टनम में थी 1611 में सूरत से भी पहले और अंग्रेजों ने वहाँ वो फैक्टरी सिर्फ और सिर्फ हीरों के व्यापार के लिए रखी थी।


बाद में उन्होंने वहाँ से हटा के उसको चेन्नई लेके गए उस समय यह  मदरास था पर ये हमें समझना है कि हीरों के व्यापार के लिए गोआ में पॉर्चुगीज बैठे थे डच मसूलीपट्टनम में थे अंग्रेज भी मसूलीपट्टनम में थे और जब हीरा हिंदुस्तान से बाहर जाता था और कट के और पॉलिश हो के वापस आता था। तो हिंदुस्तानी, ये भी हमारा रिकॉर्ड है हमारे खुद के एम्परर्स औरंगजेब वो एक कटे हुए और एक पॉलिश हुए हुए डाइमंड के लिए जादा पैसे देने के लिए तैयार थे बनिस्पत के अन्कट डाइमंड के जब राजा पॉलिश डाइमंड के तरफ ध्यान देगा और अन्कट डाइमंड की कोई वैल्यू नहीं होगी तो फिर तकलीफ तो बढ़ेगी ही उधर सबसे बड़ी प्रॉबलम ये हुई कि पॉर्चुगीज ने ब्राजील में हीरे की ख़दाने डिसकवर की।

इंडिया में हीरे की जो उपज थी वो कोई पचास हजार केरेट एक साल में थी ब्राजील में शुरुवात में ही एक लाग केरेट थी उसके दूसरे साल तीन लाग केरेट थी इंडियन चैप्टर क्लोज होता है

कुछ और डाइमंड के नाम भी सुन लीजिए ।

Sancy Diamond , Blue Sancy Diamond 
The Indore Pears , 
The Nizam Diamond ,
Hortensia diamond 
The Florentine Diamond, 
Black Orlve Diamond (eye of Brahma)
Briolette of India

सूची बहुत लंबी है।

इसलिए क्योंकि जब आप History of Diamonds लिखेंगे तो दुनिया के प्रसिद्ध एवं बेहतरीन डाइमंड्स जो है वो कहीं न कहीं हिंदुस्तान से ही निकले हुए है/

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