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भारत मे गरीबी निर्धारण से सबंधित महत्वपूर्ण समितिया important Committees on Poverty Determination in India

उपयुक्त है। भारत में गरीबी निर्धारण का इतिहास

दादा भाई नौरोजी (Dada Bhai Naoroji)    : इनकी पुस्तक 'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' में पहली बार गरीबी के मापन को (G) की न्यूनतम आवश्कताओं की पूर्ति से लगाया था।

 नीलकांत दांडेकर और वीएम रथ के फॉर्मूले  (Formulas of Neelkant Dandekar and VM Rath)      इनके फॉर्मूले के आधार पर स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1971 ई. में वैज्ञानिक तरीके से गरीबी रेखा का निर्धारण किया गया जिसमें नेशनल सेंपल सर्वे (NSS) के उपभोग खर्च के आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया। इसके अनुसार उस व्यक्ति (ग्रामीण एवं शहरी दोनों) को गरीब • माना गया जो प्रतिदिन औसतन 2,250 कैलोरी भोजन प्राप्त करने में असमर्थ था। ये आँकड़े वर्ष 1960-61 ई. पर आधारित थे ।




वाई के अलध समिति  (Y K Aaldh Committee)       : वाई के अलध की अध्यक्षता में योजना आयोग ने 1979 में इस समिति

 
important Committees on Poverty
image:-magadhIAS


का गठन किया। इस समिति ने दांडेकर एवं रथ के फॉर्मूले का आधार वर्ष बदलकर 1973-74 ई. पर दिया और पहली बार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कैलोरी की अलग-अलग मात्रा निर्धारित की, जो क्रमशः 2,100 कैलोरी और 2,400 कैलोरी थी ।


लकड़वाला समिति   (Lakdawala Committee  )    योजना आयोग ने देश में निर्धनता की माप के लिए 1989 ई. में प्रो. डी. टी. लकड़ावाला की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। 1993 ई. में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अनुसार प्रत्येक राज्य में मूल्य स्तर के आधार पर अलग-अलग निर्धनता रेखा का निर्धारण किया गया यानी प्रत्येक राज्य की निर्धनता रेखा भिन्न-भिन्न होगी। इस प्रकार इसके अनुसार 35 गरीबी रेखाएँ हैं जो शुरू में 28 थी। इस समिति ने प्रत्येक राज्य में ग्रामीण और शहरी निर्धनता के लिए अलग-अलग मूल्य सूचकांकों की बात की जो है 
(a) ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता रेखा इस समिति ने कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्तता मूल्य सूचकांक (CPI for Agricultural Labour) का सुझाव दिया। 

(b) शहरी क्षेत्र में निर्धनता रेखाः इसके लिए समिति ने औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI for Industrial Workers) और शहरी भिन्न कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का सुझाव दिया। इस समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप कोई विशिष्ट या निर्धारित निर्धनता रेखा नहीं रही बल्कि इसके स्थान पर राज्य विशिष्ट निर्धनता रेखा हुई जिनसे एक राष्ट्रीय निर्धनता रेखा निर्धारण किया जा सका।

Note : 8वीं योजना में कैलोरी प्राप्ति 2,400 ग्रामीण व 2,100 शहरी- आधार को ही स्वीकार किया गया तथा 1973-74 ई. मूल्य पर ग्रामीण क्षेत्र के लिए 49.09 रुपया तथा शहरी क्षेत्र के लिए 56.64 रुपया प्रति व्यक्ति प्रतिमाह उपभोग व्यय लिया गया। इसी कार्यविधि का प्रयोग नवीं तथा दसवीं योजना में भी किया गया।


सुरेश तेंदुलकर समिति  (Suresh Tendulkar Committee) : योजना आयोग ने वर्ष 2004 ई. में सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में समिति बनाई जिसने अपनी रिपोर्ट 2009 ई. में सौंपी। तेन्दुलकर समिति का मुख्य उद्देश्य इसका परीक्षण करना था कि क्या भारत में गरीबी वास्तव में गिर रही है या नहीं जैसा NSSO के 61वें चक्र से स्थापित होता है इसके साथ ही नई गरीबी रेखा तथा गरीबी के संबंध में अनुमान प्रस्तुत करना था । 


तेन्दुलकर समिति ने उपभोग बास्केट में परिवर्तन किए और जीने के लिए अदा की जाने वाली कीमत (Cost of Living Index CoLI) की बात की। इसने गरीबी रेखा का निर्धारण उपभोग में लाए जा रहे खाद्यानों के अलावा छः बुनियादी आवश्यकाताओं-शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना, स्वच्छ वातावरण तथा महिलाओं की काम तथा लाभ तक पहुँच के आधार पर होगा। तेंदुलकर समिति ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए एक ही उपभोग बास्केट का उपभोग किया।



तेंदुलकर पद्धति के अनुसार, गरीबी रेखा 'मिश्रित संदर्भ अवधि' पर आधारित 'मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय के रूप में व्यक्त की गई है। समिति ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए 2004-05 मूल्य पर 446.68 रुपया (2011-12 ई. के मूल्य पर 816 रुपए) प्रति व्यक्ति प्रति माह तथा शहरी क्षेत्र के लिए इसे 578.80 रुपया (2011-12 ई. के मूल्य पर 1000 रुपए) मासिक रुपया प्रति व्यक्ति उपभोग रखा। इस आधार पर समिति के अनुमान के अनुसार 2004-05 में ग्रामीण जनसंख्या का 41.8% (2011-12 में 25.7%) तथा शहरी जनसंख्या का 25.7% (2011-12 में 13.7%) गरीबी रेखा से नीचे थे। 2004-05 में सम्पूर्ण भारत के स्तर पर गरीबी का प्रतिशत 37.2% (2011-12 में 21.9%) था। 


नोट: तेन्दुलकर समिति ने गरीबी रेखा के निर्धारण के लिए जीवन निर्वाह लागत सूचकांक यानी प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय को आधार बनाया। 


सी. रंगराजन समिति  (C. Rangarajan Committee)   संयुक्त राष्ट्रसंघ के अंग खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) गरीबी का आकलन उपभोग के पोषण मूल्य अर्थात कैलोरी आयोग ने तेन्दुलकर समिति की जगह सी. रंगराजन की अध्यक्षता मूल्य में 2012 में नई समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट जुलाई, के ही आधार पर करता है, इसीलिए योजना 2014 में प्रस्तुत की। इसने तेन्दुलकर समिति के आकलन के तरीकों को खारिज कर दिया। 

रंगराजन समिति के अनुसार वर्ष 2011-12 में 29.5% लोग गरीब थे, (जबकि तेन्दुलकर समिति ग्रामीण जनसंख्या का 30.09% तथा शहरी जनसंख्या का 26.4% लोग गरीबी रेखा से नीचे थे। रंगराजन समिति ने अखिल भारतीय अस्तर पर गरीबी क्षेत्र के लिए 972 रुपये तथा शहरी क्षेत्र के लिए 1407 रुपये प्रतिव्यक्ति मासिक उपभोग  व्यव को गरीबी रेखा में परिभाषित किया


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