चंपारण सत्याग्रह, To the point ( UPSC ,state PCS, NET ,JRF, SSC, रेलवे
चंपारण सत्याग्रह
चंपारण सत्याग्रह क्यों हुआ Why did Champaran Satyagraha happen?
चंपारण सत्याग्रह नील की खेती करवाने वाले अंग्रेज और स्थानीय किसानों के मध्य एक समझौता होता था, जिसमें किसानों को अपनी भूमि के 3/20वें भाग पर नील की खेती करनी होती थी, इसे 'तिन-कठिया पद्धति' कहते थे।
• कृत्रिम रंगों के विकास के बाद नील का व्यापार लाभदायी नहीं रहा, इस कारण अंग्रेज किसानों की भूमि छोड़ने लगे और बदले में मुआवजे की मांग कर रहे थे, जिसे देने में किसान असमर्थ थे।
राजकुमार शुक्ल ( Rajkumar shukla)
> मुरली भरहवा गांव के निवासी राजकुमार शुक्ल किसानों की समस्या लेकर कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन, 1916 में गांधीजी से मिले। इसके बाद वे कलकत्ता में भी गांधीजी से मिले। उनके आग्रह पर 10 अप्रैल, 1917 को गांधीजी पटना पहुंचे। यहां कुछ देर रहने के बाद पटना व से वे चंपारण पहुंचे। यहां मजिस्ट्रेट ने उन्हें वापस जाने को कहा, जिसे गांधीजी ने मानने से इंकार कर दिया।
गांधीजी ने लगभग 8000 किसानों से वार्ता की। 9 पटना में गांधीजी मजहरुल हक से मिले। इसके बाद बागान मालिक संघ के सचिव जेम्स विलसन से भी मिले 15 अप्रैल को गांधीजी मोतिहारी पहुंचे।
उसके बाद 22 अप्रैल को गांधीजी बेतिया पहुंचे। यहां वे हजारीमल धर्मशाला में रुके।
चंपारण सत्याग्रह में गांधी जी के साथ और अन्य लोग कौन कौन थे?
गांधीजी के साथ राजकुमार शुक्ल, Rajkumar Shukla,
ब्रज किशोर प्रसाद, Braj Kishore Prasad,
रामनवमी प्रसाद, Ram Navami Prasad,
राजेंद्र प्रसाद, Rajendra Prasad,
जे. बी. कृपलानी, J. B. Kripalani,
प्रभूदास आदि थे। Prabhudas etc.
चंपारण जांच समिति में श्रीमती कस्तूरबा, डॉ. देव, ब्रज किशोर प्रसाद, धरनीधर प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंह, रामनवमी प्रसाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, महाराजा कृत्यानंद सिंह, महात्मा गांधी तथा एफ. जी. स्लाई (अध्यक्ष) आदि शामिल थे।
वर्ष 1918 में चंपारण एग्रेरियन एक्ट ने तीन कठिया कानून को समाप्त कर दिया।
24 मई 1918 को गाँधीजी ने मोतिहारी आश्रम का शिलान्यास किया।
निष्कर्ष (conclusion)
चंपारण सत्याग्रह के द्वारा महात्मा गांधी का भारत मे पहला सफल आंदोलन था, गांधी जी ने लोगो के जहन में ,एक नई प्रकार की ऊर्जा लाया, एक पढ़ा लिखा वेक्ति लोगो के समस्याओ के समाधान के लिए कार्य कर रहा, किसान, मजदूर, माध्यम वर्ग, महिलाएं, बच्चे सभी के लिए गांधी एक उम्मीद के रौशनी बन गए जो बाद में उनके अनेक आंदोलन में साथ दिया।
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