Discuss briefly the objective of U.N.O. and explain the rules govern ing its membership.
सयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य (Objective of the U.N.O.)
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सयुक्त राष्ट्र के चार्टर (Charter) के एक प्रस्तावना है जिसमें सयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य व नित्ति देखने को मिलती है, जिस प्रकार भारतीय सविधानं के प्रस्तावना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों को संविधान की प्रस्तावना में निम्न प्रकार व्यक्त किया गया है
—“एक संयुक्त राष्ट्र संघ के लोगों का यह निश्चय है कि हम भावी पीढ़ियों को युद्ध की भयंकरता से जिसने हमारे समय में दो बार समस्त मानव जाति को अत्यधिक पीड़ा पहुँचाई, बचाने का प्रयास करेंगे। हम मानव के मौलिक अधिकारों, मानव व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा तथा मूल्य में, स्त्री तथा पुरुष के समान अधिकारों में तथा छोटे-बड़े राष्ट्रों की समानता में विश्वास प्रकट करते हैं।"
अतएव ऐसी परिस्थितियों को स्थापित करने के उद्देश्य से जिनमें न्याय (justice) , संधि (treaty) और अन्तर्राष्ट्रीय विधि (international Law) के अन्य साधनों के प्रति सम्मान की भावनाओं को स्थायी रूप प्रदान किया जा सके । सामाजिक प्रगति और कुछ अच्छे जीवन स्तर को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये सहिष्णुता और पूर्ण जीवन का व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिये तथा अपनी शक्तियों को अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा की स्थापना के लिये प्रयुक्त करने के लिये यह प्रतिज्ञा करते हैं, कि "हम एक-दूसरे के साथ इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये सदैव सहयोग प्रदान करेंगे। इसलिये हमारी सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के इस घोषणा-पत्र को स्वीकार किया है और हम एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से प्रसिद्ध होगा "
चार्टर के अनुच्छेद 1 के अनुसार संघ का प्रमुख उद्देश्य विश्व में शान्ति तथा सुरक्षा की स्थापना करना है अनु. 111 में संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों की विशद् व्याख्या की गयी है। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं
(1) युद्ध तथा विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान (Peaceful Settlement of War and Disputes ) — मानव जाति की भावी सन्ततियों को युद्ध की विभीषिका से मुक्त करना, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को बनाये रखना, अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का अन्तर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर शान्तिपूर्ण उपायों से समाधान करना ।
(2) विभिन्न समस्याओं का समाधान (Solution of Various Problems)— आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या मानवतावादी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने में सब देशों का सहयोग प्राप्त करना तथा मूल, वंश, लिंग, भाषा तथा वर्ग भेद की उपेक्षा करके मानव मात्र के लिये मानव अधिकारों तथा स्वतंत्रता के मूल अधिकारों में वृद्धि करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना ।
(3) समानाधिकार व आत्म-निर्णय (Equal Rights and Self-Determination) समस्त राष्ट्रों के समानाधिकार और आत्म निर्णय के आधार पर मैत्री सम्बन्धों में वृद्धि करना । (4) समन्वय की स्थापना (Establishment of co-ordination) – संयुक्त राष्ट्र संघ को ऐसा केन्द्र बनाना जो इन सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिये विभिन्न राष्ट्रों द्वारा किये जाने वाले कार्यों में समन्वय स्थापित करता रहे।
सिद्धांत (Principles)
संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों का वर्णन चार्टर की द्वितीय धारा में है—
(1) उत्तरदायित्वों का निर्वाह (Performance of the Obligation ) – सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता ग्रहण कर इसके लाभों तथा अधिकारों को गारंटी के साथ प्राप्त करने के लिए अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करेंगे।
(2) समानता का अधिकार (Right of Equality ) – इसके समस्त सदस्य राष्ट्रों को समानता का अधिकार दिया जायेगा, किन्तु सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों को इस संस्था के अन्य सदस्यों की अपेक्षा अधिक विशेषाधिकार मिलेंगे ।
(3) विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान ( Peaceful Settlement of Disputes)—
अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा बनाये रखने के लिए भी राष्ट्र अपने मध्य होने वाले विवादों
का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करेंगे।
(4) आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं (Non-interference in Internal Matters)—– सं. रा. संघ किसी राज्य के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। परंतु चार्टर के सातवें अध्याय में वर्णित कार्यवाहियों जैसे, शान्ति को खतरे में डालने वाली शान्ति भंग और अग्रवर्षण की चेष्टाओं के बारे में कार्यवाही के लागू किये जाने पर इस सिद्धांत का कोई प्रभाव न पड़ेगा ।
(5) शान्ति और सुरक्षा (Peace and Security)—सं. रा. संघ शान्ति और सुरक्षा को बनाये रखने की व्यवस्था करेगा। संघ गैर सदस्य राष्ट्र से भी शान्ति एवं सुरक्षा को बनाये रखने के लिए चार्टर में सिद्धांतों को मनवाने का प्रयत्न करेगा ।।
(6) सं. रा. संघ की सहायता (Help of U.N.O.)- जब सं. रा. संघ चार्टर के अनुसार कोई कार्यवाही करेगा तो सब सदस्य राष्ट्र उसे सब प्रकार से सहायता देने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है। वे उस देश की सहायता नहीं करेंगे, जिसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ शान्ति एवं सुरक्षा के लिये कोई कार्यवाही कर रहा है।
(7) बल प्रयोग नहीं (To Aovid the Use of Force ) — सभी सदस्य राष्ट्र अपने धमकी देंगे और न ही बल का प्रयोग करेंगे और न ही सं. रा. संघ के उद्देश्य के प्रतिकूल अन्तर्राष्ट्रीय विवादों में किसी राज्य की अखण्डता एवं राजनीतिक स्वाधीनता के विरुद्ध न तो आचरण करेंगे।
सदस्यता (Membership)
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में कहा गया है कि कोई भी शान्तिप्रिय देश संघ का सदस्य बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में दो प्रकार के सदस्य हैं— (i) वे सदस्य जिन्होंने प्रारम्भ से ही संघ की सदस्यता स्वीकार कर ली थी, (ii) वे सदस्य जो बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य बने थे।।
एक नए देश या सरकार को सयुक्त राष्ट्र द्वारा सदस्य की मान्यता कैसे प्रदान की जाती है?
एक नए देश या सरकार की मान्यता देने यह एक ऐसा कार्य है, जिसे केवल सदस्य देश ही दे सकते है या रोक सकते है
सयुक्त राष्ट्र की सदस्यता ग्रहण करना यह एक राजनीतिक कार्य है जो आपसी संबंधों में आधार पर अनुकूल भी होती है और प्रतिकूल भी, अर्थात , दो तिहाई बहुमत पाने के लिए उतने सदस्य देशों की सहमति व संबंध अच्छे होंगे तो वोट आपके पक्ष में पड़ेगा अन्यथा, उसके विपरीत भी
सयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए निम्न प्रक्रिया है। (procedure for membership of the United Nations)
राज्य महासचिव को एक आवेदन और औपचारिक रूप से एक पत्र प्रस्तुत करता है जिसमें कहा गया है कि वह चार्टर के तहत दायित्वों को स्वीकार करता है।
सुरक्षा परिषद ( Security Council) आवेदन पर विचार करती है। प्रवेश के लिए किसी भी सिफारिश को परिषद के 15 सदस्यों में से 9 के सकारात्मक वोट प्राप्त होने चाहिए,
बशर्ते कि इसके पांच स्थायी सदस्यों में से कोई भी - चीन, फ्रांस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम,सयुक्त राज्य अमेरिका- ने आवेदन के खिलाफ मतदान किया है।
अर्थात, सुरक्षा परिषद के सभी पाँच स्थाई सदस्य देश आपकी सदस्यता पर राजी हो सहमति हो, अगर इनमें से एक भी सदस्य देश। उस देश की सदस्यता का विरोध करता है, फिर वह प्रस्ताव वही खत्म हो जाती है।
> यदि सुरक्षा परिषद सदस्यता की प्रवेश की सिफारिश करती है तो , उसके बाद यह प्रस्ताव आम सभा (general Assembly) में प्रस्तुत किया जाता है।
> नए सदस्य देशों की सदस्यता प्राप्त करने के लिए (general Assembly) में दो - तिहाई बहुमत प्राप्त करना आवश्यक है।
(सदस्यता) Membership उस तिथि से प्रभावी हो जाती है, जब प्रवेश के लिए जो संकल्प है उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के कुल 51 प्रारम्भिक सदस्य हैं। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की कुल संख्या 192 से बढ़कर 193 हो गई। 11जुलाइ को दक्षिण सूडान को सयुक्त राष्ट्र की 193वां सदस्य बनाया गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्न 10 विशिष्ट अभिकरण (Specialised Agencies) हैं
(1) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(2) खाद्य एवं कृषि संगठन
(3) अन्तर्शासकीय नौका परिवहन परामर्शदाता संगठन
(4) अन्तर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन
(5) विश्व डाक संघ
(6) अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ
(7) विश्व मौसम विज्ञान संगठन
(8) अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
(9) सं. रा. शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन तथा
(10) अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु शक्ति आयोग ।
सं. रा. संघ के निम्न 5 सम्मेलन तथा कोष (Conferences and Funds) हैं- (1) सं. रा. व्यापार और विकास परिषद, (2) बाल कोष, (3) सं. रा. विशिष्ट कोष, (4) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (5) अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक ।
संयुक्त राष्ट्र का संगठन (Organization of U.N.O.)
संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित छः अंग हैं (there are Six organs of the united nations)
(1) साधारण सभा (General Assembly)
(2) सुरक्षा परिषद (Security Council)
(3) आर्थिक व सामाजिक परिषद् ( Economic and Social Council)
(4) न्यास परिषद्, (Trust Council)
(5) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court)
(6) सचिवालय (Secretariat)
(1) साधारण सभा (General Assembly)
– संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य इस सभा के सदस्य होते हैं। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को एक वोट देने का अधिकार दिया गया किन्तु वह साधारण सभा के अधिवेशन के लिये पाँच सदस्यों की नियुक्ति कर सकता है। वर्ष में केवल एक बार इस संस्था का अधिवेशन बुलाया जाता है। आज्ञा पत्र में उल्लिखित विषयों पर ही इसमें वाद-विवाद सम्भव हो सकता है। विश्व शान्ति की स्थापना के लिये, किसी भी सिद्धांत को इसके अधिवेशन में किसी राष्ट्र का प्रतिनिधि रख सकता है। नागरिक अधिकारों की रक्षा एवं पारस्परिक सहयोग की वृद्धि करना इस सभा का कार्य है। इसके प्रत्येक अधिवेशन के लिये एक नये सभापति का निर्वाचन होता है। सामान्य विषयों में साधारण सभा का निर्णय बहुमत के आधार पर होता है। महत्त्वपूर्ण निर्णयों में बहुमत की आवश्यकता पड़ती है। संयुक्त राष्ट्र संघ का आर्थिक नियंत्रण इसी सभा के अधीन है। प्रतिवर्ष यह सभा वर्षान्त में अपनी आय एवं व्यय का ब्यौरा पेश करती है। अपने सदस्यों में संघ का व्यय बाँटने का अधिकार भी साधारण सभा को दिया गया है। सभा सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों, आर्थिक और सामाजिक परिषद् के बारह सदस्यों और संरक्षण परिषद् के आवश्यक सदस्यों का निर्वाचन करती है। यह सुरक्षा परिषद् का ध्यान उन सम्भावनाओं की ओर आकर्षित करती है जो सुरक्षा परिषद् के सम्मेलनों में विचार-विमर्श में छूट जाया करते हैं। विश्व में तृतीय महायुद्ध की आशंकाओं को दूर करने में साधारण सभा का सहयोग उल्लेखनीय है।
सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United nation security council)
सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, सयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है, सुरक्षा परिषद जिमेदारि अंतरास्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाये रखना है
सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य है। पांच स्थाई (permanent ) और 10 अस्थाई Temperory अस्थाई सदस्य देशों का प्रत्येक दो वर्षों के लिए चुना जाता है।
वर्तमान समय मे Security Council की सदस्य देश ।
पाँच स्थाई सदस्य ( permanent member)
1. United States of America
2. Russia
3. China
4. United kingdom
5 . France
दस अस्थाई सदस्य( temperory Member )
1.India
2. Albania
3. Brazil
4. Gabon
5 . Ireland
6. Mexico
7. Norway
8. United areb Emirates
9. Kenya
10. Ghana
जो पाँच स्थाई सदस्य है इनके पास अपार political power है। इनके पास vito शक्ति होती है, जिसके अनेक फायदे है, तथा ये स्थाई सदस्य देश अपने फायदे के लिए बहुत से प्रस्तावों को रिजेक्ट कराते है या फिर पास करवाने में मदद करते है।
बाकी जो 10 सदस्य देश है 2 वर्ष की अवधि के लिए general assembly के सदस्य देशों द्वारा चुना जाता है।
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1. United States of America,Russia ,China, United kingdom, France #INDIA,
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