गोलमेज सम्मेलन -All Three Round Table Conference ( 1930- 1932)
सविनय अवज्ञा आंदोलन 12 March 1930 के सुरुआत, नमक कानून तोड़कर महात्मा गांधी ने जो कार्य किया, देश मे ख्याति और जनसमर्थन और बढ़ी, जहां गांधी जी जाते एक जन जन सैलाब उमड़ जाता देखने सुनने के लिए।अंग्रेजो को समझ आगई थी, भारत मे उनके दिन अब पूरे हो चुके है। नमक कानून तोड़कर गांधी जी ने नमक पर अंग्रेजो के एकाधिकार को खत्म कर दिया/
12 मार्च 1930 को गांधी जी अपने साबरमती आश्रम से समुद्र की ओर चलना सुरु किया तीन हप्ते बाद वह समुद्र के निकट उस स्थान पर पहुँचे वहां उन्होंने मुठ्ठी भर नमक बनाकर ,अंग्रेजो के कानून तोड़ दिया, और यह खुद को अंग्रेजों के निगाह में अपराधी ठहरा लिया, कानून तोड़कर।
गांधी जी द्वारा तोड़े गए नमक कानून के समर्थन में विशाल जनशैलाब उमड़ पड़ी ।अंग्रेजो को लगने लगा था, भारत मे रहना है तो भारतीयों को उनका अधिकार देना होगा।
ब्रिटिश सरकार ने लंदन में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन सुरु किया,। अंग्रेज सरकार भारत मे सवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए 1930- 32 के बीच तीन गोलमेज सम्मेलन का आयोजन कराती है।
साइमन कमीशन (1930) के द्वारा दी गई सुझाव व प्रस्ताव को आधार बनाकर गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया था।,
![]() |
mahatma Gandhi 2nd round table talk source: wikipedia : magadhIAS |
कुल तीन गोलमेज सम्मेलन हुए, जो निम्नलिखित है।
1. पहला गोलमेज सम्मेलन ( 12 नवंबर 1930- जनवरी 1931)
2. दूसरा गोलमेज सम्मेलन ( 7 सितंबर 1930 से 2 दिसम्बर 1931 तक
3. तीसरा गोलमेज सम्मलेन (17 नवंबर 1932 से लेकर 24 दिसंबर 1932 तक
1. पहला गोलमेज सम्मलेन (First Round Table Conference) 12 नवंबर 1930- जनवरी 1931) आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ( रैमसे मैकडोनाल्ड Ramsay MacDonald) ने की थी, भारत के तरफ से स्वशासन की मांग जोरो पर थी, इश्लिये हम देखते है ,प्रथम गोलमेज सम्मेलन में पहली बार भारतीयों को बराबरी का दर्जा दिया गया।
इस सम्मेलन में ब्रिटेन के तीन राजनीतिक दलों की तरफ से कुल 16 प्रतिनिधि मौजूद हुए अंग्रेजो द्वारा शाशित भारत से 59 प्रतिनिधि सामिल हुए तथा, भारतीय प्रान्तों से 16 प्रतिनिधि प्रथम गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए।। इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस
के नेताओं ने भाग नही लिया।। क्योकि इस समय सविनय अवज्ञा आंदोलन के वजह से बहुत से क्रांतिकारी नेता जेल में ही थे।
फिर भी अंग्रेज शाशित भारत की तरफ से और देशी रियासतों की तरफ से प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लिए प्रतिनिधि मौजूद थे।। जिनमें...
● हिन्दू महासभा ( बी एस मुंजे ,एम आर जयकर
● मुश्लिम लीग ( मौलाना मोहमद अली जौहर, मोहम्मद शफी ,आगा खान, मोहम्मद अली जिन्ना, मोहम्मद जफरुल्ला खान, ए के फजलुल हक)
● सिख समुदाय ( सरदार उज्जवल सिंह
● कैथलिक ईसाई ( ए टी पन्नीरसेल्वम
● दलित वर्ग ( बी . आर. अंबेडकर
● विभिन रियासतों के राजा महाराजा भी शामिल हुए ( हैदराबाद ,मैसूर,, गवालियर, पटियाला, बड़ौदा , जम्मू कश्मीर, बीकानेर, भोपकल, नवानगर, अलवर, इंदौर ,रीवा, धौलपुर, सांगली ,सरीला,जमीदार, श्रमिक, महिलाएं, विश्वविद्यालय आदि के शासक व लोग शामिल हुए
दलितों के तरफ से प्रतिनिधि करने वाले बी आर अंबडेकर, ने दलितों व नीचे तबके के लोगो के लिए अलग से राजनीतिक प्रतिनिधि तथा अलग निर्वाचन मंडल की बात की मांग थी।
● प्रथम गोलमेज सम्मलेन में कुल 74 भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। जिसमे
● ब्रिटिश भारत के तरफ से 58 राजनीतिक नेताओ ने हिस्सा लिया था,
● देसी रियासतों के 16 प्रतिनिधि शामिल थ।
और
इस समय भारत के वायसराय लार्ड इरविन थे
प्रभाव :---
भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस भारतीय राजनीतिक के महत्वपूर्ण स्तम्भ था, हालाकि सुधारो के कई सिद्धांतो पर बात बनी, चर्चा हुई लेकिन प्रथम सम्मलेन से ज्यादा कुछ हाशिल नही हुआ, कोंग्रेस पार्टी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन जारी रखी, कोंग्रेस की अनुपस्थिति, की वजह से प्रथम गोलमेज असफल रहा/
दूसरा गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) 7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक चला था,
दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधि,
मुश्लमानो के तरफ से - अली जिन्ना,आगा खान तृतीय, मुहमद इकबाल,
हिंदुओ के तरफ से - एमआर जयकर आदि
दलितों वर्ग के तरफ से- डॉ बी आर अंबेडकर
महिलाओं की तरफ से- सरोजनी नायडू ,एनी बेसेंट आदि ने भाग लिया
ब्रिटिश प्रधानमंत्री Jemes Ramsay MacDonald और भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस के प्रतिनिधि सामिल थे, लेकिन यह conference साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण असफल रहा,
तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference)
तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference) का आयोजन 17 नवंबर, 1932-24 दिसंबर, 1932 के बीच किया गया, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और गांधी जी ने भाग नहीं लिया। इसमें कई अन्य भारतीय नेताओं ने भी भागीदारी नहीं की।
पहले दो सम्मेलनों की भांति इसमें भी कुछ खास हासिल नहीं हुआ। इसकी , अनुशंसाएं मार्च 1933 में एक श्वेत पत्र में प्रकाशित हुईं, जिस पर बाद में ब्रिटिश संसद में चर्चा हुई। अनुशंसाओं के विश्लेषण हेतु एक संयुक्त समिति गठित की गई; और भारत के लिए एक नया अधिनियम बनाने को कहा गया। इस समिति ने फरवरी 1935 में एक विधेयक का मसौदा प्रस्तुत किया, जिसे जुलाई 1935 में भारत सरकार अधिनियम, 1935 के रूप में लागू किया गया।
First Round Table Conference, Second Round Table Conference , Third Round Table Conference
0 टिप्पणियाँ
magadhIAS Always welcome your useful and effective suggestions