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खिलाफत आंदोलन क्या था, और क्यों था khilafat movement and non cooperation movement

खिलाफत आंदोलन।


खिलाफत आंदोलन एक धार्मिक आंदोलन था। ,जो भारतीय मुश्लामनो द्वारा सुरु किया गया था।  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से इसका कोई लेना देना नही था।  हा वो अलग बात है की  माहत्मा गांधी ने भारतीय मुश्लमानो के खलीफा के प्रति जज्बातों को समर्थन दिया। परंतु असहयोग आंदोलन में खिलाफत आंदोलन का एक अस्वाभाविक उपश्थिति थी।


सरल भाषा मे .... 

विश्व के कोई भी मुश्लमान हो, चाहे किसी भी देश मे इश्थित जो , उनके लिए ,मका, मदीना, अल अक्सा  मस्जिद,  ये तीनो उनके लिए पवित्र जगह है,   क्योकि इश्लाम के संस्थापक का इन  जगहों से गहरा नाता रहा है।।     अगर ईससे सबंधित कुछ विवाद उतपन्न होता है तो,मुश्लामनो के भावनाए आहत होती है,             


खिलाफत आंदोलन....( 1919-1920)

खिलाफत आंदोलन - मोहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुश्लमानो का एक आंदोलन था।। इसमें कई अन्य प्रमुख मुश्लमान नेता भी शामिल हुए     विश्व के अन्य सभी देशों के मुश्लमान तुर्की के सुल्तान  को अपना आध्यात्मिक नेता खलीफा  मानते थे।
प्रथम विश्व युद्ध (1914- 1918) के बाद  तुर्की  एक उग्र रूप धारण करते हुए,  अंग्रेजो के खिलाफ, जर्मनी और ऑस्ट्रिया के साथ गठजोड़ कर लिया।।        एक तरफ British Empire vs   Germany , Turkey , Austria , 


तुर्की की यह नित्ति  अंग्रेजो  को बिल्कुल  रास नही आई। खलीफा जो एक धार्मिक नेता वेक्ति थे,   अब ये दोनों आमने - सामने थे। 
बात फैल गई थी की ,ब्रिटिश सरकार तुर्की के खिलाफ तरह तरह के अपमानजनक शर्ते लाद रही है।  यह बात सामने आते ही जगह जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे, लगभग सभी इश्लामिक देशों में उग्र विरोध प्रदर्शन होने लगे,

उन्ही में से भारतीय मुश्लमान भी थे। यहां भी  अंग्रेजो के खिलाफ मुश्लमानो के अंदर काफी नफ़रतें और गुसा फैली हुई थी।

मुश्लमानो की कुछ मांगे थी ,ब्रिटिश सरकार से।।   

● पहले के ओटोमन सम्राज्य के सभी इश्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की के खलीफा  का नियंत्रण बना रहे
● जजीरात- उल - अरब ( सीरिया अरब,इराक,फिलिस्तीन) इश्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहे।
● खलीफा के पास इतने क्षेत्र हो कि वह इश्लामी विस्वास को सुरक्षित करने के योग्य बन सके

अंततः मुश्लामनो को जिस चीज का डर था वही हुआ।। तुर्की को छिन्न भिन्न कर दिया गया, और  (Treaty of Serves 1920) तहत  मिश्र ,  सूडान ,मोरक्को ,अरब,सरिया, ईरान, आदि क्षेत्र तुर्की से अलग कर दिया गया। और खलीफा को सत्ता से हटा दिया गया।
भारत सहित अन्य देशों  में। इश्थित मुश्लिम  समुदाय काफी नाराज हुए , और उन्ही में से  शौकत अली, और मोहम्मद अली भाइयों ने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध खिलाफत आंदोलन प्रारंभ किया।

विश्व मे फैले ,विभिन देशों के मुश्लमान अंग्रेजो के प्रति, गुस्सा प्रकट कर रहे थे, आंदोलन कर रहे  थे, जनसभा कर रहे थे,

उन्ही देशों में से एक देश भारत  था, कोंग्रेश ने इस आंदोलन को समर्थन दिया, वही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के साथ इससे मिलाने की कोशिश की। ताकि दोनो धर्म के लोग  एक साथ,एक होकर अंग्रेजो के विरुद्ध संघर्ष करें ,

तुर्की की खण्ड खण्ड होने के बाद खिलाफ़त नेताओ ने एक समिति का गठन किया जिसमें
( अली बंधु, मौलाना अबुल कलाम आजाद, अजमल खान, हसरत मोहानी, इन सभी नेताओं के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया, जिससे अग्रेजो के विरुद्ध माहौल बनाकर उसे तुर्की पर किये कारवाई को वापस ले, अंग्रेज तुर्की के विरुद्ध अपनी रवैया बदले।  

यह आंदोलन 1919 से लेकर 1924 तक छिटपुट चलता रहा।   परिणाम स्वरूप  मुश्लमानो के खलीफा के हित मे कुछ नही निकला । 1925 के शरुआती महीनों में  यह आन्दोलन लगभग अदृश्य ही  हो गया था।



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