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संसदीय व्यवस्था एवं संसदीय समिति एवं उनके कार्य parliamentary System

संसदीय व्यवस्था। parliamentary System


भारतीय सविधानं के अनुच्छेद 118 में संसदीय व्यवस्था प्रक्रिया के बारे में बात उल्लेख किया गया है।

सविधानं के Article 118  संसद की दोनो सदनों ,लोकसभा व राज्यसभा के प्रक्रिया व कार्य संचालन के लिए जो नियम है उसका निर्धारण संसद करेगी। अर्थात राज्यसभा व लोकसभा में  कार्य को सही से संचालन करने के लिए संसद नियम बनाती है।

संसदीय व्यवस्था को ठीक से समझने के लिए भारतीय सविधानं के अनुच्छेद 108 को सही से समझना चाहिए, क्योकि अनुच्छेद 108 को ठीक से समझने के उपरांत संसदीय व्यवस्था से सबंधित बहुत से प्रश्नों का जवाब खुद मिल जाएगा।

भारतीय सविधानं का अनुच्छेद 108 जो (Joint session ) सयुक्त अधिवेशन की बात करता है।इसमें कुछ महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया गया है। जैसे


●  राष्ट्रपति संसद का अधिवेशन बुलाएंगे इस बात का उल्लेख है।

●राष्ट्रपति किस कारण से सयुक्त अधिवेशन से बुलाएंगे इस बात का उल्लेख है।

●जब भी संसद  का सयुक्त अधिवेशन बुलाया  जाएगा  तथा उस सयुक्त अधिवेशन में विधयक किस बहुमत से पारित होगा।  इस बात का उल्लेख है।


संसद  का सयुक्त अधिवेशन क्यों बुलाया जाता है ?


Article 108 सयुक्त अधिवेशन

(1) किसी विधेयक के  एक सदन द्वारा पारित होने पर दूसरे सदन  का असहमति। किये जाने के बाद

(a)  विधेयक को दूसरे सदन द्वारा खारिज किये जाने पर
(b) मान लो कोई bill आप लोकसभा में रखते है, लोकसभा ने वह bill पास कर दिया  ,फिर वो बिल राज्यसभा में गई। राज्यसभा ने उस bill को पारित नही करती है, लटकाकर रखी हुई है,  या bill में जो प्रावधान है जो बात है उससे सहमत नही है
(c) एक House  Bill को पारित करता, और  दूसरा House अगले 6 महीने  तक उस Bill पर कोई प्रतिक्रिया नही देता है तब   

तब Article 108 में सविधानं कहता है,   की लोकसभा और राज्यसभा के बीच   जो गतिरोध उतपन्न हुई है,  जो मतभेद  तनाव उतपन्न हुई है  उस तनाव को दूर करने के लिए article 108  के अनुसार राष्ट्रपति संसद का सयुक्त अधिवेशन बुला सकते है।

अनुच्छेद 118(4) के अनुसार  सयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करेंगे।


संसद के कार्य Hindi व English  भाषा मे होता है, अनुच्छेद 120 के अनुसार हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का जिक्र है। लेकिन अगर कोई मातृभाषा में बोलना चाहता है तो वो अध्यक्ष से आज्ञा लेकर अपनी मातृभाषा में बोल सकता है।

अनुच्छेद 121 :- उच्चतम न्यायालय या किसी उच्य। न्यायालय के अपने कर्तव्यों के निर्वहन के स्वन्ध में न्यायाधीशों पर संसद  में कोई चर्चा नही होगी,लेकिन अगर सदन में न्यायधीश को हटाने के  अगर प्रस्ताव लाया गया है ।तभी न्यायधीश पर टीका- टिप्पणी कर सकते है।अन्यथा नही



अनुच्छेद 122 :-  न्यायपालिका को रोका गया है, संसद के किस विधिक मामले पर टीका टिप्पणी करने से।


अनुच्छेद 99 में साफ- साफ लिखा है। संसद के सदस्यों को राष्ट्रपति शपथ दिलाएंगे या उनके द्वारा  अधिकृत वेक्ति सपथ दिलाएंगे

* अनुसूची तीन में लिखा है कि संसद के सदस्य किस बात की शपथ लेंगे।

अनुच्छेद 100 :- में संसद के कोरम का उल्लेख किया गया है,  कुल सदस्य का 1/10 होना चाहिए....

भारतीय सविधानं का अनुच्छेद 98  में संसदीय सचिवालय का उल्लेख करता है।
प्रत्येक सदन का एक अपना संसदीय सचिवालय होगा अनुच्छेद 98 में उल्लेख किया हुआ है।। तथा इनमें कार्य करने वाले  कर्मचारी ,नियम, प्रक्रिया, वेतन भत्ते। इन सभी का निर्णय संसद  करेग।

अगर किसी कारण की वजह से संसद इन नियमो को बनाने में विलंब करती है तो ऐसे इष्ठतिति (situation)  में  राष्ट्रपति खुद  नियम बना सकते है अनुच्छेद 98 के तहत।

संसद के सचिवालय के प्रमुख को  महासचिव कहते है,  ये प्रशसनिक अधिकारी होते (IAS) इनकी नियुक्ति सदन के अध्यक्ष करते है।।   ये महासचिव का दर्जा केबिनेट सचिव के समान होता है।    इनके   कार्यकाल  का उल्लेख सविधानं में नही किया गया है,Contract  Base पर होता आ रहा है।


 कार्य ( work )..

संसदीय सत्र / सेशन / अधिवेशन

Article 85 :-  अनुच्छेद 85 कहता है, राष्ट्रपति संसद के सत्रों  को आहूत कर सकते है तथा संसद के सत्र बुला भी सकते है, एक वर्ष में 2 सत्र होने जरूरी ।

(¡) Budget Session  बजट सत्र :/  वर्ष का पहला सत्र होता है राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से सम्बोधित करेंगे।  यह सत्र ( फरवरी - से मई के  बीच होता है।

(¡¡)   मानसून सत्र  इसका  यह सत्र जुलाई से अगस्त के बीच होता है।

(¡¡¡) शीतकालीन सत्र  यह सत्र नवंबर से दिसंबर तक होता है।


Article 87 :- अनुच्छेद 87 :- जब भी लोकसभा का चुनाव होगा उसके पहले सत्र को राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से सम्बोधित करेंगे।

* लोकसभा का, स्थगन, सत्रावसान और विघटन क्या होती है?

स्थगन का अर्थ होता है, इस  सभा की बैठक को समाप्त करना, और 

अगली बैठक के लिये निश्चित समय  पर पुनः, प्रारम्भ होती है,

सत्रावसान :- इसका उल्लेख  85(2) (क) के अंर्तगत राष्ट्रपति के द्वारा जब आदेश देते है और सत्र की समाप्त  हो जाती है।

विघटन--  विघटन का अर्थ है, सविधानं के अनुच्छेद  85(2) (क) अंतर्गत ही होता है,   विघटन आम तौर पर  मन्त्रिपरिषद के सलाह पर ही राष्ट्रपति करते है,   जब नई लोकसभा का गठन होता है और उसका 5 वर्ष पूरा हो जाता है ,लोकसभा का जीवन कार्य समाप्त हो जाता है,  सारा लंबित कार्य जो लोकसभा के  समक्ष  होते है सभी समाप्त हो जाते है,  लेकिन राज्यसभा स्थायी सदन होने के नाते जो बिल राज्यसभा में लाई गई वो कुछ समय के लिए लंबित रहते, लेकिन समाप्त नही होते



Update जारी है.........................................

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