सविधानं की प्रस्तवना (preamble) की सम्पूर्ण जानकरी, अधयन्न सहित।।।।
![]() |
preamble of india: magadhIAS |
भारतीय सविधानं के बारे में जानाना है तो (Preamble) प्रस्तवना की बखूबी उसका परिचय देता है ।
सुप्रीम कोर्ट के बहुत ही बड़े महानुभाव वकील नानी पालकीवाला, जिन्होंने ऐतिहासिक केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) केस लड़ा था, उन्होंने कहा था ,प्रस्तावना सविधानं का परिचय पत्र है, अर्थात Identity card है
या कहे भारतीय सविधानं कैसा है, इसका भाव कैसा है इसकी विचार कैसा है, प्रस्तावना पढ़कर आसानी से आप समझ सकते है।
{प्रस्तावना ,preamble}
हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी , पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक। गणराज्य
बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
समाजिक ,आर्थिक और राजनैतिक न्याय,
विचार , अभिव्यक्ति ,विस्वास ,धर्म
और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में वेक्तित की गरिमा और
राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए
दृढ़संकल्प होकर अपनी इस सविधानं सभा मे आज
तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी , सवंत दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस सविधानं को अंगीकृत ,अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।
WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens:
JUSTICE, social, economic, and political;
LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;
EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;
WE DO HEREBY GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.”
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
सविधानं सभा के द्वारा सविधानं निर्माण किया गया ,सविधानं सभा मे जवारलाल नेहरू ने13 दिसम्बर 1946 जो एक उदेशियका पेश की थी।
इश्मे यह बताया गया था कि सविधानं किस प्रकार से तैयार किया जाना है और जाता है
यह प्रस्ताव 22 जनवरी 1947 को अपना लिया गया
अमेरिका के सविधानं से प्रस्तवना लिया गया है क्योंकि सबसे पुराना लोकतंत्र वही था, और अमेरिका के प्रस्तवना मानवीय हित मे थे राष्ट्रहित में थे,
◆ भारतीय सविधानं की प्रस्तावना का विचार। भाव
अमेरिका के सविधानं के प्रस्तावना से लिया गया ( आप देखेंगे जैसे वहां की प्रस्तावना की प्रारम्भ। we the people of the United States) हमारे प्रस्तावना में भी यही विचार से सुरु होती है WE, THE PEOPLE OF INDIA
◆ प्रस्तवना कैसा होगा इसका भाषा कैसा होगा इसका कैसा होगा ,यह विचार ऑस्ट्रेलिया से लिया गया,
26 जनवरी 1950 को प्रस्तवना लागू किया गया था।
प्रस्तवना पर हमारे सविधानं सभा के सदस्य के विचार, और उनके मत
जिस प्रकार आत्मा बिन शरीर का महत्व नही है, उसी प्रकार सविधानं प्रस्तवना में वर्णित आदर्शों को यदि सविधानं से अलग कर दिया जाय, तो सविधानं को अधूरा, अनपयुक्त माना जायेगा।
बता दे कि, 42वे सविधानं संसोधन अधिनियम 1976 के द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष ,और अखंडता जैसे शब्दों को
जोड़े गए ।
बेरु बारी यूनियन के मामले में (1969) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि,प्रस्तावना सविधानं का हिस्सा नही है,इशीलये संसद प्रस्तावना में संसोधन नही कर सकती।
परन्तु सर्वोच्च न्यायालय के एक ओर प्रसिद्ध मामला में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य 1973 के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रस्तावना सविधानं का अंग है इश्लिये संसद उसमे संसोधन कर सकती है,परन्तु मूल ढांचे को छोड़कर।
● प्रस्तावना देश के राजनीतिक जन्मपत्री है, K. M मुंशी।
● प्रस्तवना प्रस्तवना सविधानं की आत्मा है, ठाकुर दास भागर्व।
● प्रस्तवना को सविधानं का परिचय पत्र कहा था । नानी पालकीवाला
भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संविधान का कुंजी कहा था .. अर्नेस्ट बार्कर
प्रस्तावना से सबंधित कोई प्रश्न हो तो आप comment कीजिए।।
धन्यवाद
0 टिप्पणियाँ
magadhIAS Always welcome your useful and effective suggestions