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भूमि क्षरण क्या है (What is Soil Erosion ) जल द्वारा 'भूमि-क्षरण, वायु द्वारा 'भूमि-क्षरण' (Soil Erosion by Wind

  भूमि क्षरण क्या है ? (What is Soil Erosion ?)


भूमि-क्षरण' एक ऐसा अभिशाप है जिसके द्वारा चाहे अनचाहे, जाने-अनजाने कितनी भूमि यूँ ही नष्ट हो जाती है। पिछले 100 से 200 वर्षों की अवधि में बनी मिट्टी की ऊपरी सतह (top soil) कुछ ही दिनों में तेज वर्षा अथवा आँधी और तूफान से वह जाती है अथवा उड़ जाती है। मिट्टी नष्ट तो बहुत कम समय में ही हो जाती है, जबकि उसके बनने में बहुत समय लगता है। अतः मिट्टी की रक्षा करना बहुत आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है। यह 'भूमि-क्षरण' जल और हवा दोनों से होता है :

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source image -pixabay

(i) जल द्वारा 'भूमि-क्षरण (Soil Erosion by Water)—


जहाँ वनस्पति क्षेत्र विरल तथा अपर्याप्त होता है और जहाँ आस-पास भी सघन पेड़ नहीं होते वहाँ की भूमि मिट्टी की सतह धीरे-धीरे क्षय होती जाती है और उसका आभास भी नहीं हो पाता । वर्षा की बूँदों से भूमि की मिट्टी पर कटाव होता है और वर्षा जल के बहने के साथ ही मिट्टी भी बह जाती है। यदि तेज वर्षा होती है तो यह कटाव और भूमि क्षय और शीघ्र तथा अधिक होती है।

इससे बचाव के कई उपाय हो सकते हैं, जिनमें 

(1) भूमि की जुताई पानी की निकास व्यवस्था के लम्बवत् करने से मिट्टी का कटाव और भूमि-क्षरण कम हो जाता है,

(2) खेतों व भूमि के आस-पास घने वृक्ष लगाये जायें क्योंकि वर्षा की तेज बूँदों को

वृक्ष अपने ऊपर लेकर बूंदों की तेजी को कम करता है तथा फिर पानी को मिट्टी में से

धीमे-धीमे जाने देता है और,

(3) खेतों अथवा भूमि के भाग के ऊपरी हिस्सों में, जहाँ से वर्षा का पानी की आवक है, छोटे-छोटे एनीकट बनाये जायें, इससे पानी उस एनीकट में रुक जाये तथा फिर उसे अपनी सुविधा से धीमे-धीमे कम गति से काम में ले सकें 

(ii) वायु द्वारा 'भूमि-क्षरण' (Soil Erosion by Wind)- 


वायु के तेज प्रवाह से भी भूमि-क्षरण होता है। वायु अपने साथ मिट्टी के छोटे-छोटे कणों को भूमि से उठाकर बहुत दूर ले जाती है तथा वहाँ से पुनः वायु के वेग के साथ ये मिट्टी के कण एक तूफान के रूप में बहुत दूर उड़ जाते हैं और पिछले भूमि भाग को यूँ ही छोड़ जाते हैं।

इसके बचाव के लिए भी जिन तरीकों को सुझाया गया है उनमें से—(1) वायु की दिशा

के विपरीत खेतों की रक्षा करना तथा (2) वायु की नमता बनाये रखना, जिससे मिट्टी सहज

ही उड़ने न पाये, प्रमुख हैं। अतः यह उचित है कि दोनों ही प्रकार के भूमि-क्षरण के कारणों से मिट्टी के क्षय को रोकने के लिए इन दो बातों को अपनाना आवश्यक है।




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