सरकारिया आयोग की सिफारिश और सुप्रीम कोर्ट का फैसला"
S .R बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) upsc,bpsc,si, and more
सरकारिया आयोग का गठन जून 1983 में भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसके Chairman माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश, राजिंदर सिंह सरकारिया के अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया है।
इसका कार्य , केंद्र- राज्य की शबन्धों पर अपनी रिपोर्ट देना था/
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री S. R बोम्मई को राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया था, अनुच्छेद 365(1) के तहत अपनी इस सरकार की बर्खास्तगी की S R बोम्मई ने 1989 में सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी ।
सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय एक पीठ ने बोम्मई मामले में मार्च 1994 में अपना एतिहाशिक फैसला सुनाया ओर राज्यो में केंद्रीय शाशन करने के लिए संदर्भ में कुछ दिशा निर्देस तय कर दिये थे।।
न्यायमूर्ति राजिंदर सिंह सरकारिया ने केंद्र - राज्य के स्वन्ध ओर राज्यो में सवैधानिक मशीनरी ठप हो जाने की सिफ़सरिस की व्यपक समीक्षा की ओर 1988 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट से उन्होंने इस संदर्भ में समग्र दिशा- निर्देश सामने रखा है
सरकारिया आयोग ने राज्यपाल के संदर्भ में निम्नलिखित सिफारिश की थी
1. राज्यपाल के रूप में नियुक्त किये जाने वाले वेक्ति, उस राज्य में नही नियुक्त होगा जिस राज्य से उसका नाता है।
क्योकि ईसस वक्तिगत दुश्मनी या हित भी होते है /
2.राज्यपाल का चयन के समय अल्पशङ्ख्यक वर्ग के वेक्तियी को समुचित अवसर दिए जाने चाहिए
3.राज्यपाल के रूप में किसी वेक्ति का चयन करते है राज्यो के मुख्यमंत्री से प्रभावी सलाह लेने की राज्यो का सविधानं में शामिल किया जाना चाहिए
4.किसी ऐसे वेक्ति को राज्य के राज्यपाल के रूप के नियुक्ति नह किया जांना चाहिए जोंकी केंद्र में सत्तारूढ़ का दल का सदस्य हो, जिश्मे शाशन किसी अन्य दल के द्वारा चलाया का रहा है
5.यदि राजनीतिक कारणों से किसी राज्य की सवैधानिक व्यवस्था टुटी हो तो रज्यपाल को यह देखना चाहिए कि क्या उस राज्य में विधानसभा में बहुमत वाली सरकार का गठन हो सकता है
6.यदि नित्ति स्वन्धित किसी प्रष्न या राज्य की सरकार, विधानसभा में पराजित हो जाती है तो सीघ्र चुनाव कराने जा सकने की इश्थिति में राज्यपाल को चुनाव तक पुराने मंत्री मंडल को कार्यकारी सरकार के रूप में कार्य करते रहने देना चहिए ।।
7.यदि सरकार विधान सभा मे अपनी बहुमत खो है तो राज्यपाल को सबसे बड़े विरोधी दल को सरकार। बनने का आरंभ देना चाहिए और विधानसभा मे बहुंत साबित करने का निर्देश देनी चाहिए यदि सवसे बड़ा दल सरकार गठित करने को इश्थिति में न हो तो राज्यपाल को राज्य में राष्ट्रपति शाशन लागू करने को सिफ़सरिस करनी चाहिए ।।
8.इस निर्णय ने राज्यपालों को हिदायत भी दी कि किसी भी राज्य सरकार के पास बहुमत है या नही, इसका फैसला अपने आवास नही इसका फैसला विधानसभा में होना चाहिए/
9.मार्च 1995 में आया S R बोम्मई भारतीय संघ का फैसला न सिर्फ भारतीय संघवाद का समर्थन करता है ।बल्कि राजनीति में उठाते हुए धर्म की बढ़ती दखल पर भी तीखे सवाल उठाते हुए भारतीय धर्मनिरपेक्ष रक्षा करता है
मुख्य बातें- Some Important Point
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फैसले ने केंद्र-राज्य संबंधों पर महत्वपूर्ण दिशानिर्देश निर्धारित किए।
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इससे राज्यों को अधिक स्वायत्तता मिली।
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इससे राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिली।
निष्कर्ष -Conclusion
S.R. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) एक ऐतिहासिक फैसला है जिसने केंद्र-राज्य संबंधों को आकार दिया है। यह फैसला भारतीय संघवाद को मजबूत करने और लोकतंत्र को बचाने में मददगार रहा है।
2 टिप्पणियाँ
Informative Article
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंmagadhIAS Always welcome your useful and effective suggestions