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भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता तथा सिंधु नदी जल विवाद 1960 जवाहरलाल नेहरू एवं अयूब खान

सिंधु नदी विवाद क्या है  What is Sindhu river Conflict?



सिंधु नदी का  सर्वप्रथम उल्लेख  ऋग्वेद में मिलता है। 

ऋग्वेद में 25  नदियों का उल्लेख किया गया है जिसमें सर्वाधिक बार  सिंधु नदी का उल्लेख किया गया है,  सिंधु नदी के आर्थिक महत्व के कारण इसे  हिरण्यनी कहा गया है,  सप्तसिंधु क्षेत्र में  सात नदिया आती है जिसमे ( सिंधु ,चिनाब, झेलम, रावी, व्यास, सतलुज, और सरस्वती ) है 

साहित्यक गर्न्थो में एवं वेदों मे ऋग्वेद, रामायण महाभारत आदि में सिंधु नदी का उल्लेख किया गया है,  भारतीय उपमहाद्वीप के साथ साथ एशिया के सबसे बड़ी नदियों में से एक है।

सिंधु नदी  का उद्गम स्थल तिब्बत पठार  स्थित    सेन्गे झांगबो (Sense Zangbu ) है इस नदी की कुल लंबाई 3200 किलोमीटर है ,यह  भारत चीन पाकिस्तान तिन देशों में बहती है,   यह नदी तिब्बत के पठार से निकतली जिसके साथ अन्य  सहायक नदियों को अपने साथ कर जम्मू कश्मीर होते हुए पाकिस्तान पहुचती और फिर जाकर अरब सागर में मिलती है।

https://www.magadhias.com/2023/02/1960.html
photo:commons.wikimedia

World Bank की उपस्थिति में सिंधु जल समझौता हुआ।


सिंधु नदी बंटवारे को लेकर 19 सितंबर 1960 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू एवं पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच विश्व बैंक की उपस्थिति में समझौता हुआ।  और 12 जनवरी 1961 को यह समझौता लागू कर दिया गया था, इस समझौते के तहत सिंधु समूह की 6 नदियों का 80 प्रतिश जल पाकिस्तान को दिया गया। और भारत को 20 प्रतिशत

सिंधू नदी के अन्य पाँच सहायक नदियों में सतलज, ब्यास,रावी,झेलम,और चिनाब इन सभी नदियों के पानी उपयोग के लिए समझौता हुआ था। सिंधु नदी के पाँच उपनदियां है, वितस्ता ,चन्द्रप्रभ,इरावती, विपाशा एवं शतद्रु। सबसे बड़ी उपनदि शतद्रु  है

सिंधु जल समझौता में छः नदिया सामिल थी।/

सिंधु जल समझौते के अनुसार पूर्वी नदियों व्यास, रावी तथा सतलुज का नियंत्रण भारत को दे दिया गया तथा  पश्चिमी नदियों जैसे सिंधु, चिनाव तथा झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दे दिया गया।

जम्मू कश्मीर के विकास में अड़चन डालता पाकिस्तान /

सिंधु नदी जल बंटवारे के पश्चात् भी कई बार भारत द्वारा इन नदियों के जल प्रयोग पर पाकिस्तान द्वारा नकारात्मक राजनीति की गई है। भारत जब भी इन नदियों पर बाँध बनाने का प्रयास करता है पाकिस्तान इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए मुख्य मध्यस्थ विश्व बैंक के पास पहुँच जाता है। 

पाकिस्तान को मुह की खानी पड़ी/

झेलम की सहयक नदी किशनगंगा पर बनने वाली किशनगंगा तथा रातले प्रोजेक्ट के खिलाफ भी पाकिस्तान ने हाल में विश्व बैंक का रूख किया था जहाँ पर उसको मुँह की खानी पड़ी है। विश्व बैंक ने किशनगंगा तथा रातले पनबिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों की दरकिनार करते हुए निर्माण की अनुमति दे दी है। इस संदर्भ में विश्व बैंक ने माना कि सिंधु के जल संधि के अनुसार भारत को झेलम तथा चिनाव नदियों पर कुछ शर्तों के साथ बाँध बनाने की अनुमति है। इस मामले में पाकिस्तान चाहता था कि एक पंचाट गठित किया जाए जो दोनों संयंत्रों की डिज़ाइन को लेकर उसकी चिंता पर गौर कर सके।




पाकिस्तान इश्लामिक आतंकियों को पालने पोसने का धंधा बन्द करें

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और पाकिस्तानी सेना के साठ गांठ ने पाकिस्तान ने हजारों, आतंकियों को भारत भेजा है, जो जगह जगह पर बम blast करके हजारों निर्दोषों को मार दिया है, 2008 में mumbai attacks ,2001 में संसद भवन पर attacks, 2016 में Uri attacks, Pathankot attacks इत्यादि यह सभी हमला पाकिस्तान के इश्लामिक शिक्षा से उत्तपन विभिन्न आतंकी संगठनों ने किया था।
कुल मिलाकर समस्याओं के लिए पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। दूसरी बात यदि देश को आर्थिक विकास के पथ पर गतिशील करना है तो इन समस्याओं को किनारे करना होगा और भविष्य में बातचीत के द्वारा ही इसका समाधान खोजने का प्रयास करना होगा तभी सही मायनों में दोनों देश विकास कर पाएंगे और क्षेत्रीय शांति बहाल हो पाएगी।


सिंधु जल समझौता जो भारत के हित को पूरी तरह नजरअंदाज करता है।

भारत और पाकिस्तान के मध्य यह एक ऐसा समझौता है ,जो भारत को दरकिनार करता है, क्योकि इन नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को जाता है ।वही भारत 20 प्रतिशत रखता है,   भारत पाकिस्तान के मध्य  पांच युद्ध हो चुकी है जिसमे 1948, 1965,1971,1984,1999 इन सभी युद्ध पाकिस्तान ने सुरु किये थे और खत्म भारत ने इन परिस्थितियों में भी भारत ने पाकिस्तान का पानी नही रोका

लेकिन वर्तमान में भारत आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर एक शक्ति का केंद्र है जिसके नेतृत्वकर्ता विश्व के सबसे ताकतवर राष्ट्रध्यक्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी है, सरकार का उद्देश्य साफ है, "खून और पानी साथ साथ नही बेहगा,  इश्लिये भारत सरकार ने1960 के सिंधु जल समझौते में कुछ बदलाव करने की मूड में है।





धन्यवाद।

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