मिल तथा बेन्थम के उपयोगितावादी विचारों की तुलना कीजिए।(To compare Benthem and Mill's views on Utilitarianisms)
बेन्थम तथा मिल के उपयोगितावादी विचारों की तुलना (Comparision Between Bentham and Mill's Utilitarianism.) मिल ने बेन्थम के उपयोगितावादी विचारों में परिवर्तन करके उपयोगितावाद को एक नया रूप प्रदान किया है।
ये परिवर्तन निम्नलिखित हैं- These changes are as follows
1. सुख की समानता पर मतभेद-वेन्थम का कथन था कि सभी सुख समान होते हैं। उनमें केवल मात्रा का अन्तर होता है। बेन्थम केवल परिमाणात्मक सुख की कल्पना करता है। इसके विपरीत मिल का कथन है कि सुखों में गुणात्मक भेद भी हैं। सुखों व दुःखों में मात्रात्मक भेद के साथ-साथ गुणात्मक भेद भी पाया जाता है। बेन्थम ने कहा है, शिशु क्रीड़ा भी उतनी ही अच्छी है जितना की मधुर काव्य।" मिल का कहना है कि "सुख व दुख में गुणात्मक अन्तर है। सुख में न केवल परिणाम का ही नहीं प्रत्युत गुण का भी भेद होता है। एक सन्तुष्ट सुअर होने की अपेक्षा एक असन्तुष्ट मनुष्य होना अधिक अच्छा है। एक सन्तुष्ट मूर्ख बने रहने की अपेक्षा एक असन्तुष्ट सुकरात होना अधिक अच्छा है।"
सुख अपने महत्त्व के आधार पर उच्च अथवा निम्न भी हो सकते हैं। सुसंस्कृत तथा परिमार्जित रूचियों वाले व्यक्तियों को जिन बातों से आनन्द तथा सुख प्राप्त होता है वह सुख मूर्ख व्यक्तियों की इन्द्रियों को सन्तुष्ट करने वाले आनन्दों से निश्चय ही अधिक श्रेष्ठ होता है। सुख का मूल्यांकन केवल मात्रा के ही आधार पर करना अनुचित तथा अवांछनीय है। मिल ने सुखों तथा दुखों के मध्य गुणात्मक भेद को मानकर उपयोगितावाद को अधिक तर्कसंगत बना दिया, पर इससे बेन्थम का उपयोगितावादी दर्शन अस्त-व्यस्त हो गया।
2. वैयक्तिकता समानता पर मतभेद-बेन्थम का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति समान होता है, दार्शनिक तथा श्रमिक में कोई महान अन्तर नहीं होता। किन्तु मिल बेन्थम की इस विचाराधारा से सहमत नहीं है। उसका कहना है कि एक विद्वान एवं मूर्ख में महान अन्तर है। सुकरात (बुद्धिमान) तथा एक मूर्ख व्यक्ति को समान नहीं समझा जा सकता। वह विद्धान व्यक्ति को मूर्ख व्यक्ति की अपेक्षा अधिक अधिकार प्रदान करने का समर्थक था।
3. व्यक्तिवादी विचारधारा में मतभेद-बेन्थम कट्टर व्यक्तिवादी था। वह व्यक्ति को निजी उद्योग-धन्धों एवं स्वतंत्र व्यापार में पूर्ण स्वतन्त्रता देने का समर्थक था जबकि मिल व्यक्ति के स्वतंत्र व्यापार पर राज्य के नियंत्रण का समर्थक था। उसका कहना था कि अल्पसंख्यक श्रमिकों के हितों की रक्षा करने के लिये यह आवश्यक है कि राज्य व्यक्ति के स्वतन्त्र व्यापार पर नियन्त्रण रखे।
4. उद्देश्य में असमानता बेन्थम मुख्य रूप से कानूनी समस्याओं को हल करना ही अपने चिन्तन का उद्देश्य मानता था। इसके विपरीत मिल का उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का निराकरण करना था।
5. सुख की प्राप्ति के साधन पर मतभेद दोनों विद्वान उपयोगितावादी हैं और दोनों का ही उद्देश्य व्यक्ति के लिए अधिकतम सुख की प्राप्ति करना है किन्तु सुख प्राप्ति के साधनों पर दोनों विद्वानों में मतभेद है। बेन्थम व्यक्ति के अधिकतम सुख को ही सुख मानता है। उसके अनुसार समाज की रचना वैयक्तिक हितों की सिद्धि के लिये हुई है, समाज का उद्देश्य व्यक्ति को अधिक से अधिक सुख प्रदान करना है। वैयक्तिक सुख ही उसके उपयोगितावाद का एकमात्र आधार है किन्तु मिल का कहना है कि सुख की अनुभूति वैयक्तिक सुख से नहीं होती बल्कि सार्वजनिक सुख से होती है जिसका अन्तःकरण से सीधा सम्बन्ध है।
व्यक्ति के लिये वैयक्तिक हित की अपेक्षा सामाजिक हित का महत्त्व अधिक है और सार्वजनिक सुख ही वैयक्तिक सुख प्राप्ति का एकमात्र साधन हो सकता है। इस प्रकार बेन्थम अयाक्तिक सुख का समर्थक है जबकि मिल का कहना है कि "सुख मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य है किन्तु उसकी प्राप्ति नैतिक साधनों से ही की जा सकती है। कर्त्तव्य पालन उसकी प्राप्ति का एकमात्र उपाय है। मिल का कहना है कि कर्त्तव्य पालन की दृष्टि से कर्त्तव्य व्यक्ति के लिये प्रधान वस्तु है और सुख गौण वस्तु है।"
6. लोकतन्त्र पर मतभेद - बेन्थम लोकतन्त्र को लोक हित का रक्षक मानता था । लोकतन्त्रात्मक शासन प्रणाली में शासन के हितों की रक्षा की सम्भावना बनी रहती है और वह निरंकुश बन सकता है किन्तु मिल का कहना है कि लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली में अयोग्य . व्यक्तियों के निर्वाचन की सम्भावना अधिक होती है। इसलिये यह अयोग्यतम व्यक्तियों की शासन प्रणाली है।
7. मताधिकार पर मतभेद - बेन्थम के अनुसार कानून, न्याय, प्रशासन इत्यादि क्षेत्रों में सुधार करके ही समाज को प्रगतिशील बनाया जा सकता है। मिल का कहना था कि वैयक्तिक स्वतन्त्रता के द्वारा समाज में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाया जा सकता है। वह इस दृष्टि से महिला मताधिकार का भी पक्षपाती था और महिलाओं को कार्य कुशलता की दृष्टि से पुरुषों से कम नही समझता था।
8. मतदान प्रणाली पर मतभेद-बेन्थम गुप्त मतदान प्रणाली को लोकतन्त्र शासन की सफलता का एकमात्र आधार मानता था किन्तु मिल गुप्त मतदान प्रणाली को एक पूर्ण प्रणाली मानता था ।
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