Menaka Gandhi vs Union of India case law under Article 21 (1978)
Supreme court का ऐतिहासिक फैसला ..Article 21 of Indian Constitution
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Indian supreme curt |
1975-77 का समय में भारत मे राजनीतिक संकट का दौर था जो,राजनीतिक महत्वकांक्षा को बढ़ाया।
जिसमे राजनीतिक बदला ,राजनीतिक लाभ लेने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाएं गए।
वर्ष 2 जुलाई 1977 में मेनका गांधी का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था, उस समय के सरकार (जनता पार्टी) द्वारा जब उनके passport को जब्त करने की कारणों की माग किया गया तो, भारत सरकार ने जनहित का बहाना बनाकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसके जवाब में मेनका गांधी ने supreme कोर्ट में एक याचिका दायर की सविधानं के article 32 को आधार बनाकर।।। मेनका गांधी के याचिकर्ता ने कहा कि यह उनके वक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का शिधा शिधा उल्लंघन है।
Article 32 जो सभी अन्य मौलिक अधिकारों को रक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को रिट जारी करने की शक्ति देता है।। जिसमे सविधानं का अनुच्छेद 14, अनुच्छेद19,(1) , अनुच्छेद 21 पर जोरदार चर्चा सुरु हो गई
. इस मामले में Supreme court का फैसला।
25/01/ 1978 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मेनका गांधी के पक्ष में फैसला सुनाया।
25 जनवरी 1978 को 7 न्यायधीशों के पीठ ने सर्वसम्मति से यह ऐतिहासिक फैसला देते हुए supreme court ने Article 21 के दायरे को और अत्यधिक विस्तृत और wide कर दिया।। article 21 की व्याख्या विस्तार से किया। गया / Passport अधिनियम को अवैध घोषित कर दिया गया तथा विदेश जाने के अधिकार को अनुच्छेद 21 का ही हिस्सा बताया।
साथ सर्वोच्य न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर कोई भी कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो भी राज्य अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 को अनदेखा नही कर सकता, यह दोनो अनुच्छेद इस केस में प्रभावित हो रहे थे।
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