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बिहार में उग्रवाद की समस्या।समाजिक और आर्थिक कारणों से सामूहिक नरसंहार की घटनाएं BPSC,PCS

बिहार में उग्रवाद की समस्या The Beginning of Naxalism in Bihar

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naxalism in india and bihar


बिहार में उग्रवाद 1970-72 से सुरु होकर 2010 तक  रहा , यह काल एक अंधकारमय  सा था ,जिसे आम राजनीतिक भाषा में जंगल राज कहते है, 1970-2000 के समय काल मे उग्रवाद अपने चरम पर था,  समाज  दो वर्गों में बट गया था, जमीदार/पूंजीपति और गरीब मजदूर  किसान ,असहाय वर्ग।।   इसमें राजनीतिक दलों और प्रशाशनिक अधिकारियों ने अपनी गंदी राजनीति,और  वक्तिगत हित के वजह   से इस समस्या को और बढ़ा दिया।

जिसे बिहार में अनेक समाजिक और आर्थिक कारणों से सामूहिक नरसंहार की घटनाएं घटी है ,
बिहार के 38 में से 15 -17 जिलों , औरँगबाद, जहानाबाद, मुंगेर,जमुई, शिवहर, मोतिहारी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, नवादा, भोजपुर ,आदि जिले अग्रहवाद की चपेट में है,बहुत से उग्रवादी संगठन जो भारतीय राजनीति के भ्रष्ट नेताओं की वजह से    उग्रहवाद अपनी इश्थिति मजबूत बना ली है।


बिहार में जितनी सामुहिक नरसंहार हुई है उसमे  साम्प्रदायिक दंगों और उपद्रव भी कम लगने लगते है,   बिहार में नरसंहार की पहली घटना ,पूर्णिया जिले के (रूपसपुर) गांव में घटी थी जहाँ - भू पतियों एवं सामंतों ने 14 आदिवासियों को जिंदा जला दिया था,      यह घटना ,भू पतियों और कमजोर तबके (आदिवासी,मजदूर वर्ग  आदि,) के दिलो दिमाग पर ऐसा छाप छोड़, की इसके बाद नरसंहार का सिलसिला सुरु होगया,

1979 में पटना के बेलछी में 11 दलितों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) की निर्मम हत्या कर दी गई,  धीरे धीरे यह घटना राजनीतिक मुद्दा बन गई,  इसके बाद  1980 में पारस बिगहा में 11 तथा पिपरा में 14 लोग  मारे गए, 1985 में नरसंहार की तीन घटना हुई जिसमे

कैथीबीगहा में 11
●बांझी में 15
●लक्ष्मीपुर में 12

---> यह एक ऐसा दौर था। जब कानून का राज समाप्त होकर जंगलराज की स्थापना हो चुकी थी।  सरकार जिस भी जाति ,समुदाय से सबंधित होती, कही न कही ,अपराधियों के प्रति उनकी सहानुभूति रहती थी।

1986 में
●में अरवल में 22, 
●कंसारा में 11
●गैनी में 12
●दरमियाँ में 11   लोग मारे गए

1887 में औरँगबाद जिले केदलेलचल  बघेरा में उग्रवादियों ने एक जातिविशेष के 54 वेक्तियो की हत्या कर दी गई थी, 1988 में  दनवार बिहटा में 21 तथा रोहतास जिला के केसरी में 10 लीग की सामुहिक हत्या कर दी गई थी।

1991 की सामूहिक नरसंहार की घटनाओं में मालवरिया  में 14  की हत्या

तिसखोखा में 14  लोगो की हत्या , दवसहीयारा में 15 लोगो की मौत के घाट उतार दी गई ,1992 में  गया।  जिला के बारा में 34 लोगो की एक साथ सामुहिक हत्या कर दी गई 
1996 में नरकटिया में  19 लोगो की हत्या हुई ,भोजपुर के बथानी टोला में  24 लोगो की हत्या कर दी गई,   

उतरी बिहार में जिस तरह ,जंगलराज में नरसंहार की निर्मम घटना हुई  बिहार के इस महान भूमि पर  इतिहास में कभी इस तरह की घटन सुनने को नही मिलती।

----> कोई वेक्ति सुबह 10 बजे घर से निकला ,उसके दिमाग मे एक बात घुस चुकी थी, किसी तरह शाम 4-5 बजे के अंदर घर पहुच जाना,    माहौल ऐसा था कि,     कोई सदस्य शाम होने से पहले घर नही पहुच पाता किसी कारणवश। परिवार में चिंता फिकर सताने लगती,    चोरी लूट पाट- ये आम थी, 

 1997 में राज्य के अनेक जिले ,उग्रवादीयो के चपेट में आगये,  हैवसपुर में 10
दानापुर में 10
जहानाबाद के आमकोदर  में 10
पटना के जलपुरा में 11 वेक्तियो की सामूहिक हत्या कर दी गई।


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1 दिसम्बर  1997 को उस समय के जहानाबाद (अब अरवल) के लक्ष्मणपुर बाथे में मानवता और कानून व्यवस्था त्राहि त्राहि हो गई जब भू पतियों द्वारा बनाये रणवीर सेना ने 62 दलितों को सामुहिक रूप से निर्मम हत्या कर दी।। जिसमे अधिकतर महिलाएं  तथा बच्चे थे।

दलितों ने इस सामूहिक नरसंहार का बदला 1  वर्ष बाद 10 जनवरी 1998 को रामपुर चौरम  में 9 रणवीर सेना  समर्थकों की हत्या करके लिया।

सामुहिक नरंसहार  पिछले 30 वर्षों से होती आरही थी, अपंग मुख्यमंत्री, अपंग जिलाधिकारी, अपंग कानून व्यवस्था, ये बाबू साहेब नोकरशाही  में डूबे हुए थे , राजनेता  की उदासीनता के कारण अत्यंत गम्भीर रूप धारण करता गया।


उग्रवाद की दूसरी सबसे बड़ी भयावह घटना औरँगबाद जिला के डोलचक और  बघौरा गावो में देखने को मिली 29 मई 1987 को  जिला मुख्यालय से कुछ ही  दूरी पर इष्ठित  गावो में MCC के सदस्यों और समर्थकों ने  इन गांवों पर रात में धावा बोलकर 53 (+12) की हत्या कर दी गई

 
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victims of naxalism :magadhias

माओवादी विद्रोह का सिद्धान्त

  • समाज के कुछ वर्गों, खासकर  युवा पीढ़ी में भ्रम अफवाह के कारण माओवादियों के बारे में अच्छी सोच है जो उनकी विचारधारा की पूरी समझ न होने के कारण है। माओवादी विचारधारा की मुख्य थीम हिंसा है। माओवादी विद्रोह का सिद्धान्त हिंसा को मौजूदा सामाजिक व आर्थिक और राजनैतिक ढांचों को शिकस्त देने के मुख्य साधन के रूप में महिमा मंडित करता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पीपल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी (पी एल जी ए), जो सी पी आई (माओवादी) का सशस्त्र विंग है, का गठन किया गया । विद्रोह के प्रथम स्तर पर पी एल जी ए गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेता है जिसका प्रमुख उद्देश्य मौजूदा शासन व्यवस्था के ढांचों के बुनियादी स्त‍र पर रिक्तता पैदा करना है।

  •  इन प्रमुख संगठनों का उद्देश्य माओवादी विचारधारा के सम्पूर्णतावादी तथा दमनकारी स्वरूप को छुपाने के लिए अल्पकालिक लोकतांत्रिक प्रणाली का बहाना करना है। सी पी आई (माओवादी) की भारत में अपने जैसी विचारधारा वाले विद्रोही/आतंकवादी संगठनों को मिलाकर ‘यूनाइटेड फ्रंट’ बनाने की भी एक रणनीतिक योजना है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इनमें से अनेक संगठनों को भारत-विरोधी विदेशी ताकतों द्वारा सहायता की जाती है और सी पी आई(माओवादी) इस प्रकार के गठबंधन को रणनीतिक परिसंपत्तियां मानते हैं संक्षेप में सी पी आई (माओवादी), जो भारत में एक प्रमुख वामपंथी उग्रवादी संगठन है, का उद्देश्यट अपने प्रमुख साधन के रूप में हिंसा तथा सहायक साधनों के रूप में प्रमुख संगठनों और स्ट्रेटेजिक यूनाइटेड फ्रंट्स के द्वारा विद्यमान लोकतांत्रिक ढांचे को उखाड़ फेंकना तथा कथित ‘न्यू डेमोक्रेटिक रिवोल्यूरशन’ में अपने आपको स्थांपित करने की योजना तैयार करना है।


बिहार में प्रमुख निजी / उग्रवादी सेनाएं


नाम।                    गठन का वर्ष             राजनीतिक/ जातीय

लाल सेना।               1971                MCC

लाल स्क्वायड।।        1971               party unity

कुंवर सेना                 1978                राजपूत समृद्ध कृषक

भूमि सेना।                1979               मध्यम एवं स्मृद्ध कृषक

ब्रम्हर्षि सेना।             1981              यह भूमिहार जाती द्वारा समर्थित संगठन

लोरिक सेना              1985               यादव भू- स्वामी

सनलाइट सेना।         1989               मुश्लिम एवं राजपूत भू स्वामी द्वारा समर्थित

रणवीर सेना              1994                समृद्ध किसानों द्वारा समर्थित



June 2021  गृहमंत्रालय  ने बिहार के 16 नसस्ल प्रभावित  जिलों में से छः जिलों को (6 district ) को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है।। इनमें

● Muzaffarpur 
● Vaishali
● Jehanabad
● Nalanda
● Arwal
● East Champaran

ग्रह मंत्रालय के अनुसार बिहार में वर्तमान में 10 ऐसे जिले है जहाँ नक्सली गतिविधियों वाले है, अर्थात उग्रवादी- मावोवादी, सक्रिय है। इनमें।

Rohtas
● Kaimur
● Gaya
● Nawada
● Jamui
● Lakhisarai
● Aurangabad 
● Banka
● Munger 
● West Champaran
वर्तमान में 10 जिले है जो नक्सल प्रभावित है।।

इसके पहले भी सरकार ने 7 अन्य जिलों को नक्सल मुक्त घोषित किया था , इनमें

Patna
Sitamarhi
● Bhojpur
● Bagaha
● Begusarai
● Khagaria 
● Sheohar

वर्तमान बिहार की इश्थिति पहले से काफी बेहतर और भविष्य उज्जवल है, उग्रवाद ,नक्सल गतिविधियों पर 90% लगाम लग चुके है, बिहार के कुछ जिले ऐसे है जहाँ पर इन नक्सली  मावोवादी सक्रिय है,   बिहार अपने सुनहरे भविष्य के पथ पर। बढ़ चुका है, बिहार के विकास दर, भारत मे सबसे  बेहतर राज्यो में आने लगा है,   


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