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Kolkata durga puja get UNSCO Intangible Cultural Heritage of Humanity, UNESCO ने दुर्गा पूजा को सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल

सनातन धर्म मे दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है,  बुराई पर अच्छाई की,अधर्म पर धर्म की जीत की प्रतीक है।

magadhias
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दुर्गा पूजा सितंबर या अक्टूबर (अश्विन या कार्तिक माह) में मनाया जाता है, यह साल में एक बार आने वाले वार्षिक त्योहार है,  दुर्गा पूजा समुच्य भारत मे सबसे अधिक और भव्य रूप से कोलकाता( पक्षिम बंगाल) में मनाया जाता है,

लेकिन बंगाल ,बिहार,उत्तरप्रदेश, झारखंड,मध्यप्रदेश जैसे प्रान्तों में भी बड़े स्तर और मनाए जाने लगे है,

कारीगर विशेष मिट्टी से देवी दुर्गा जी की प्रतिमाएं बनाते है

देवी दुर्गा की  नौ शवरूपो की पूजा की जाती है,  ओर दसवां दिन  विजय दशमी के रूप में रावण दहन कर मनाया जाता है,  

सनातन धर्म मे यह त्यौहार समुच्य संसार के पवित्र त्याहारों में से एक है,  10 दिन तक मांस मदिरा किसी भी प्रकार के  राक्षसी भोजन नही की जाती है,  

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सभी देशवासि जाती धर्म के भूल कर दुर्गा पूजा महोत्सव की आनंद लेते है, जातीयता, वर्ग, धर्म के विभाजन टूट जाते है, भक्त लोग सभी के कल्याण की कामना करते है,  

कोलकाता UNSCO ने बुधवार 15-12-21 को पक्षिम बंगाल के दुर्गापूजा महोत्सव को एक विरासत( Heritage) का दर्जा दिया,  माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घोषणा पर अपनी खुसी भी जाहिर की है



UNESCO के विश्व सांस्कृतिक विरासत की सूची में अब कुल 14 भारतीय विरासत हो चुके है

इससे पहले
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1. Traditional of Vedic Chanting  2008 (  वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा)

1500 ईसा पूर्व आर्यो द्वारा विकसित और संस्कृत कविता, दार्शनिक संवाद मिथक और अनुष्ठान मंत्रों का एक विशाल संग्रह शामिल गई,  वेद दुनिया के सबसे पुरानी जीवित सांस्कृतिक श्रोत है।

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2. Ramlila The Traditional  performance of the Ramayana 2008 ( रामलीला जिसमे  भगवान राम जी के स्वरूप  को नाट्यरूप में प्रदर्शित किया जाता है,)

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3. Kutiyattam sanskriti theatre 2008 (कुटियाट्टम सँस्कृति थिएटर) 

कुटियाट्टम सँस्कृति थिएटर ,यह केरल प्रान्त में प्रचलित है भारत की सबसे पुरानी जीवित नाट्य परंपराओ में से एक है 2000 से अधिक वर्षों पहले से सुरु हुई। कुटियाट्टम सँस्कृति परंपरा  जो अभिनय( इसारो की भाषा) प्रमुख है

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4. Ramman religious festival and ritual theatre of the Garhwal Himalayas India 2009 ( रमन धार्मिक त्यौहार और गढ़वाल हिमालय भारत का अनुष्ठान थियेटर 

हर साल अप्रैल के अंत में उत्तराखंड राज्य ( उतरी भारत)  राज्य में सलूर- डूंगरा नाम के जुड़वा में रम्माण मनाया जाता है,  यहां के स्थानीय रक्षक देवता भूमियल के समम्मान में मनाए जाने वाला एक धर्मिक त्यौहार होता है,

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5. Mudiyettu, Ritual theatre and dance drama of Kerala 2010 ( मुडीयेट्टू केरल का  पारंपरिक रंगमंच व नृत्य नाटिका)

मुडीयेट्टू केरल की एक पारंपरिक नृत्य नाटिका है जो देवी काली और राक्षस दारिका के बीच लड़ाई की पौराणिक कहानी पर आधारित है,

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6. Kalbelia folk song and dance of Rajasthan  2010 ( कालबेलिया राजस्थान की एक प्रसिद्ध नृत्य शैली,)

कालबेलिया यहां एक सपेरा जाती को कहा जाता है कालबेलिया  नृत्य  महिलाओं द्वारा की जाने वला नृत्य है इस नृत्य के दौरान  पुरुष  बिन व ताल अन्य संगीत के यंत्र बजाते है, कालबेलिया नृत्य के दौरान महिलाएं साँप की तरह बलखाते नृत्य प्रस्तूर करती है,
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7. Chhau Dance  2010  (  छऊ नृत्य)

छऊ नृत्य पूर्वी भारत की एक प्रमुख परंपरा है, पूर्वी भारत  मे उड़ीसा ,झारखंड, पक्षिम बंगाल, राज्यो में  सीमावर्ती क्षेत्रों के आदिवासी क्षेत्र में प्रचलित है,
छऊ नृत्य के तीन विशिष्ट प्रकार है
1. झारखंड के सेरैकेल्ला छऊ 
2. उड़ीसा का मायुरभंज छऊ 
3. पक्षिम बंगाल  का पुरुलिया छऊ मुखोटे सेरैकेल्ला और पुरुलिया के नृत्य के अंग है
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8.Budhist chanting of Ladakh Recitation of sacred Budhist text in the trans- Himalayan Ladakh Region Jammu and Kashmir India  2012 ( लदाख का बौद्ध जप:- हिमालय क्षेत्र में भारत मे बौद्ध पवित्र गर्न्थो का पाठ

लदाख क्षेत्र के मठों और  गावो में बौद्ध लामा( पुजारी) बुद्ध की आत्मा दर्शन और शिक्षाओ का प्रतिनिधित्व करने के लिए पवित्र गर्न्थो का जाप करते है,

लदाख में बौद्ध धर्मो के दो रूपों का अभ्यास किया जाता है ,महायान, वज्रयान

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9. Sankirtana ,ritual singing ,drumming and dancing of manipur 2013 ( मणिपुर का संकीर्तन,अनुष्ठान गायन ढोल नगाड़ा और नृत्य)

संकीर्तन में मणिपुर के मैदान के वैष्णव लोगो के जीवन मे धार्मिक अवसरों और विभिन्न चरणों को चिन्हित किया जाता है, जहाँ कालाकार नृत्य का माध्यम से  कृष्ण के जीवन और कर्मो का वणर्न करते है
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10.  Traditional Brass and Copper Craft of Ustensil Making Among the Thatheras of jandiala Guru ,punjab (india)( जंडियाला गुरु, पंजाब भारत के
ठठेरो के बीच बर्तन बनाने का पारम्परिक पीतल और तांबे का शिल्प

जंडियाला गुरु के ठठेरो का शिल्प पंजाब में पीतल और तांबे के बर्तन बनाने की परंपारीक तकनीक है,

इसमें उपयोग की जाने वाली धातु, तांबे और पीतल और कुछ मिश्र धातुएं है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती है,

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11. Yoga 2016 ( योग)  

magadhias
yoga,the  indian culture ,

योग ( संस्कृत योग:) एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमे शरीर, के मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम करता है,

भगवान शिव उसी मुद्रा में रहते है, योग शरीर के विभिन्न कष्ट, चिंता दुखो को मन की सांति और विभिन्न प्राणायाम से दूर की जा सकती है
योग भारत के प्राचीन अभ्यास है जो शरीर के विभिन हिस्सो को तंदुरस्त बनाता है

योग की  उत्पत्ति की जब बात होती है तो  महर्षि पतंजलि का नाम प्रमुख्ता से लिया जाता है,  क्योकि पतंजलि ने ही योग को  आस्था ,अंधविश्वास और  से बाहर निकालकर एक  ,सुव्यवस्थित रूप दिया, था,   आधुनिक भारत मे योग के विकास का श्रेय बाबा रामदेव को जाता है,

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सयुक्त राष्ट्र में योग को एक अन्तरसट्रीय क्षवि प्रदान की और  2015  में सयुक्त राष्ट्र ने  21 जून   अन्तरसट्रीय योग दिवश घोषित किया.

21 june ,international Yoga  day


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12. नवरोज़, नोवरूज़, नॉरूज़, नॉरूज़, नवरोज़, नौरीज़, नूरुज़, नॉरूज़, नवरूज़, नेवरूज़, नॉरूज़, नवरूज़ navroj, novruj, nauruj, nuraj, nevruj,

विभिन नाम है

16 अगस्त को देश मे पारसी धर्म का नया साल यानी नवरोज त्योहार मनाया जाता है नवरोज त्योहार पारसी समुदाय के किये आस्था का प्रतीक है, यह दो पारसी शब्द से बना है,  नंव+ रोज अर्थात नया दिन,

यह त्योहार पिछले 3000 साल से मनाया जा रहा है,
नया साल सभी के लिए एक अच्छा सुरुआत देता है, समृद्धि देती है, 

नवरोज,navroj, फ़ारसी धर्म का नया वर्ष है, यह ईरान का भी नया साल है जिसे नवरोज कहते है,
जैसा कि हम जानते है ईरान फ़ारसी लोगो का ही देश था, बाद में इश्लामिक आक्रांताओं की वजह से फ़ारसी समुदाय के लोग आज विभिन्न देशों में मिलेंगे,

प्रेम उत्सव प्रकृति से प्रेम हरियाली की मनोरम दृश्य  को पेश करते है, इसकी सुरुअति ईरान में  हुई थी, लेकिन पारसी अन्य दक्षिण पूर्व एशिया ,मध्य एशिया में  फैले है तो वहां भी मानाया जाता है,


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13.  Kumbh Mela ( कुंभ मेला)  

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  Kumbh Mela ( कुंभ मेला)  


Hindu धर्म मे कुंभ मेला ब्रह्मांड का सबसे बड़ा एक जगह सांति पूर्वक एकत्र होने वला समारोह है,  इसका अंदाजा इस बात से लगया जाता है सेटेलाइट से भी नजर आता है,

12 वर्ष के अंतराल पर मनाया जाता है, जिसमे हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी नदी, और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम( गंगा ,यमुना, सरस्वती) तीनो  नदिया मिलती है

हिन्दू धर्म मे, मान्यता है, जब बृहस्पति कुंभ राशि मे और सूर्य मेष राशि मे प्रवेश करता है तो कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है,
कुंभ मेला का पौराणिक मान्यता अमृत मंथन से जुड़ी हुई है,

कुम्भ मेले में एक से बढ़कर एक महान तपस्वी, योगी, साधु, नागा, जो  साक्षात शिव की उपासक होते है, कुंभ मेले में एक साथ एकत्र होते है,

मान्यता है, असुरों से अमृत बचाते हुए जब नारायण ने गरुड़ को अमृत कलश संभालने की ज़िमेदारी दे दी,

असुरों और गरुड़ महाराज में दोनो में अमृत छीने, बचाने में प्रतिरोध हुआ जिसने अमृत छलक कर, प्रयागराज, नासिक,हरिद्वार, उज्जैन मे गिरी,

इश्लिये सुभ् मुहूर्त ओर हर 12 वर्ष ओर कुंभ मेले की आयोजन होती है


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14. दुर्गा पूजा  (Durga puja) 2021

सनातन धर्म मे दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है,  बुराई पर अच्छाई की,अधर्म पर धर्म की जीत की प्रतीक है

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दुर्गा पूजा सितंबर या अक्टूबर (अश्विन या कार्तिक माह) में मनाया जाता है, यह साल में एक बार आने वाले वार्षिक त्योहार है,  दुर्गा पूजा समुच्य भारत मे सबसे अधिक और भव्य रूप से कोलकाता( पक्षिम बंगाल) में मनाया जाता है,

लेकिन बंगाल ,बिहार,उत्तरप्रदेश, झारखंड,मध्यप्रदेश जैसे प्रान्तों में भी बड़े स्तर और मनाए जाने लगे है,

कारीगर विशेष मिट्टी से देवी दुर्गा जी की प्रतिमाएं बनाते है

देवी दुर्गा की  नौ शवरूपो की पूजा की जाती है,  ओर दसवां दिन  विजय दशमी के रूप में रावण दहन कर मनाया जाता है,  

सनातन धर्म मे यह त्यौहार समुच्य संसार के पवित्र त्याहारों में से एक है,  10 दिन तक मांस मदिरा किसी भी प्रकार के  राक्षसी भोजन नही की जाती है,


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सभी देशवासि जाती धर्म के भूल कर दुर्गा पूजा महोत्सव की आनंद लेते है, जातीयता, वर्ग, धर्म के विभाजन टूट जाते है, भक्त लोग सभी के कल्याण की कामना करते है,  

कोलकाता UNSCO ने बुधवार 15-12-21 को पक्षिम बंगाल के दुर्गापूजा महोत्सव को एक विरासत( Heritage) का दर्जा दिया,  माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घोषणा पर अपनी खुसी भी जाहिर की है


UNESCO के विश्व सांस्कृतिक विरासत की सूची में अब कुल 14 भारतीय विरासत हो चुके है







अधिक जानकारी के किये ,भारतीय संस्कृति मंत्रालय की ऑफिसियल  https://indianculture.gov.in    पर विजिट करें।










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