पंचायती राजव्यवस्था एवं सवैधानिक इश्थिति। आसान भाषा मे,।
Lord Ripon। (लार्ड रिपन) का कार्यकाल (1880-1884)
● पंचायती राजव्यवस्था कब सुरु हुआ इसका
एतिहासिक पृष्टभूमि क्या है, अन्य सभी प्रश्नों के जवाब इस लेख में मिलेगा,
पहले इसके पृष्ठभूमि पर नजर डालते है/
Lord Ripon 1880- 1884) ई में लिटन प्रथम के बाद भारत के वायसराय बनकर आये थे, और 1884 तक भारत वायसराय के रूप में कार्य किया।। Lord Ripon की विचार और उनके नीति भारतीयों के हित मे ही रहती थी।
ग्लैडस्टोन। Gladstone की तरह lord ripon का भी राजनीतिक दृष्टिकोण उदार था जिसके कारण वह लोकप्रिय शाशक सिद्ध हुए।
लार्ड ripon के सुधार कार्यो में सवार्धिक महत्वपूर्ण कार्य था।(Local self Goverment Resolution of 1882)
● Lord Ripon के सुधार कार्यो में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य था ,स्थानिय स्वशासन की सुरुआत ,जिसकी सवैधानिक बुनियाद स्वतंत्रता अधिनियम 1992 में रखी गई।
इसके अंतर्गत ग्रामीण कक्षेत्रों में स्थानिय वार्ड बनाये गए ,जिले में जिला उपविभाग ,तहसील board बनाने की योजना बनी।
नगरों में नगरपालिका का गठन किया गया एवं इनके कार्य करने की स्वतंत्रता एवं आय प्राप्त करने में साधन उपलब्ध कराए गए।
इन संस्थाओं में गैर सरकारी लोगो की अधिक भागीदारी निश्चित की गई।
आप जिस गाँव शहर से आते है, वार्ड , जिला परिषद,पंचायत समिति आदि के बारे में कभी न कभी सुना ही होगा, इसकी जड़ें। Lord Ripon के काम से है जो 2022 में भी स्थापित है।
● (Hunter Education commission 1882-83)
● 1854 में सर चाल्स wood ने भारत को भावी शिक्षा के लिए एक विस्तृत योजना बनाई जिसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है
● 1882 में lord ripon ने W.W Hunter की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया ,जिसे 1854 के बाद देश मे शिक्षा की दशा में किये गए प्रयासों एवं उसकी प्रगति की समीक्षा करना था।
● सुधार की दृष्टि से Ripon का सबसे महत्वपूर्ण कार्य (1883) का ilbert Bill था ilbert Bill में भारतीय न्यायधीशों को यूरोपीय मुकदमे को सुनने का अधिकार दिया गया था।। (VVi)
● भारत मे रहने वाले अंग्रेजो ने इस Bill का विरोध किया,
परिणाम स्वरूप Ripon को इस विधयेक को वापस लेकर संसोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा।
● Ripon ने Ilbert Bill पर हुए वाद- विवाद कर कारण कार्यकाल पूरा होने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया।
● फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने lord Ripon को भारत का मुक्तिदाता की संज्ञा दी है।
● Lord Ripon ने एक बार कहा था।
उसने कहा था मेरा मूल्यांकन मेरे कार्यो से करना शब्दो से नही।
भारतीय लोगो मे Ripon का काफी स्मामन था और सायद अभी भी है।
●भारत मे स्थानीय स्वशासन के लिए किए कार्यो के वजह से Lord Ripon को भारत मे स्थानीय स्वशासन का जनक कहा जाता है।
---> 1882 में Ripon ने स्थानीय संथाओ के मजबूत हेतु एक प्रस्ताव रखा था।
इस प्रस्ताव को स्थानीय स्वशासन का मैग्नाकार्टा कहा जाता है।
● स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है।
Article 40 में राज्य द्वारा ग्राम पंचायतों का गठन का उल्लेख है।
●●● अब यहां से आप lord ripon के कार्यो को भारत सरकार द्वारा आगे ले जाते हुए देखेंगे
● 1992 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा 1953 में राष्ट्रीय विकाश योजना जैसे कार्यक्रम लागू किये गए थे।
● इन दोनों कार्यक्रमों को जांच करने हेतु 1957 में योजना आयोग द्वारा बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
● मेहता समिति के सिफ़सरिस पर 2 October को 1959 को भारत मे पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव मे पंचायती राज संस्थान को उदघाटन किया गया। ( VVI)
● बलवंत राय मेहता वे ही लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का सिद्धांत दिया ,इस कारण मेहता को लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का जनक कहा जाता है।
---> 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा अशोक मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति ने पहली बार पंचायत राज संस्थान को सवैधानिक दर्जा दिए जाने के लिए सिफारिस की थी।
---> 1986 में राजीव गांधी के सरदार द्वारा लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का गठन किया गया।
---> इसी समिति के अनुसंसा पर पंचायत राज संस्थान हेतु 64वा तथा नगर पालिकाओं के सवैधानिक दर्जा हेतु 65 सविधानं संसोधन विधयेक 1989 में लोग सभा मे लाया गया।
---> 73वा। सविधानं संसोधन अधिनिमय 1992
● 24 April 1993 को यह संसोधन लागू हुआ इस कारण से 24 अप्रैल को पंचायत राज दिवश के रूप में मनाया जाता है।
--> इसकी निम्न विशेषताएं है।
● सवैधानिक दर्जा :- इसके दर्जा सविधानं में Article 243 से O तक नए Article जोड़े गए।। अर्थात Article 243(A)......243O)
73वे सविधानं संसोधन (1992) में कुल 16 नए article जोड़े गए थे सविधानं में।
1992 सविधानं संसोधन से पहले Article 243 में कुछ और लिखा हुआ था, उसे रद्द करके, फिर नए अनुच्छेद जोड़े गए, इश्लिये। 243 खुद और। 243A से O तक। कुल 16 अनुच्छेद हो गए।।
---> इसके द्वारा सविधानं में 11वी अनुसूची तथा भाग IX जोड़ा गया।
● पंचायतों से संबंधित अनुच्छेद ,
★ Article 243 :/ परिभाषा
★ Article 243( A) :- ग्राम सभा का गठन,
article 243 में ग्रामसभा को परिभाषित किया गया है।
इसके अनुसार एक ग्राम पंचायत में आने वाले गावो के मतदाताओं का समूह ग्राम सभा कहलाती है।
★ Article 243(B) एक वर्ष में इश्कि दो बैठक होती है सरपंच इसकी अध्यक्षता करते है।
★ Article 243(C) इसका कोरम ( गणपूर्ति (1/10 )होती है।
★ Article 243(D) के अनुसार ग्राम सभा के कार्यो का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
त्रिस्तरीय संरचना :/ गाँव अस्तर पर ग्राम सभा ,प्रखंड अस्तर पर पंचायत समिति, जिला अस्तर पर जिला परिसद की स्थापना की गई।
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को मुखिया कहते है।
पंचायत समिति के अध्यक्ष को प्रमुख कहते है।
जिला परिषद के अध्यक्ष को, अध्यक्ष ही कहते है
जैसे- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ‘जिला पंचायत’।
राजस्थान, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों इसे जिला परिषद के नाम से जाना जाता है।
Note:/ जिन राज्यो के जनशख़्या 20 लाख से कम है वहा मध्य अस्तर अर्थात पंचायत समिति की स्थापना अनिवार्य नही होगा।
--> ग्राम पंचायत की उपाध्यक्ष ,पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होगा।
--> ग्राम पंचायत का अध्यक्ष ( मुखिया) का चुनाव प्रत्यक्ष होगा अथवा अप्रत्यक्ष रूप से होगा इसका निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।। विधानमंडल के ऊपर छोड़ा गया है।
:- आरक्षण/
(क) SC/ST को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण।
(ख). महिलाओं के लिए 1/3 आरक्षण ।
(ग). OBC के लिए आरक्षण की ज़िमेदारी राज्य सरकार विधानमंडल की है।
(घ). मध्यप्रदेश। पहला राज्य है, जहाँ पंचायत राज संस्थाओ में महिलाओं के लिए 1/ 2 अर्थात 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रवधान करने वला राज्य है।
★ योग्यता
Article 243(F) के अनुसार उमीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए।
शेष योग्यताओं के निर्धारण की ज़िमेदारी राज्य विधानमंडल पर छोड़ी गई है।
★ अवधी / कार्यकाल ,tenure
Article 243(E) के अनुसार इन संस्थाओं का
कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
ये पाँच 5 वर्ष की अवधी इनकी पहली बैठक से मानी जाती है।
Article 243 (E) में अष्पष्ट उल्लेखित है कि निर्धारित कार्यकाल से पूर्व स्थान रिक्त हो जाने पर नए चुनाव 6 माह में कराए जायेंगे।
★ कार्य Work
Article 243(G). के तहत इन संस्थाओं के लिए 29 कार्य निर्धारित किये गए है।
इन 29 कार्यो में से कितने कार्य इन संस्थाओं को दिए जाय इसके ज़िमेदारी राज्य विधानमंडल पर छोड़ी गई है।
राज्य वित्त आयोग का गठन ।
★ Article 243(I) तथा 243( Y) के द्वावा
---> राज्य अस्तर पर राज्य वित्त आयोग की स्थापना का प्रवधान किया गया है।
---> राज्यपाल इसका गठन करते है।
--> इसकी सदस्य सविधानं में निर्धारित नही है
---> ये आयोग पंचायत राज्य संस्थाओ तथा -नगर पालिकाओं को वित्तिय अनुदान, राज्य की संचित निधि से उनके भाग का निर्धारण, इन संस्थाओं की वित्तिय मजबूती हेतु सुझाव देने तथा राज्यपाल द्वारा दिये गए, अन्य कार्यो को करता है/
राज्य निर्वाचन आयोग का गठन।
★ Article 243(K) में इसका उल्लेख है।
( क) Article 243K के तहत ये एक सदस्य आयोग है।
(ख) राज्य निर्वाचन आयुक्त इसका पद नाम है।
(ग) राज्य निर्वाचंन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
(घ) सविधानं में इनकी योग्यताओं की उल्लेख नही है
(इं) भारतीय प्रशाशनिक सेवा की अधिकारी IAS इस पद पर नियुक्ति किया जाता है।
(च) कार्यकाल सविधानं में निर्धारित नही है, लेकिन सम्भवतः 5 वर्ष होती है सेवानिवृत्त की आयु 65 वर्ष
(छ) Article 243(K) के अनुसार राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसी विधि से हटाए जा सकते है ,जैसे high court के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
सविधानं के अनुसार इनके निम्नलिखित कार्य है।
(क) पंचायत राज्य संस्थाओं और नगर पालिकाओं का चुनाव कराना
(ख) मतदाता सूचियों को तैयार करना।
(ग) 73वे सविधानं संसोधन के प्रावधानों के तहत नागालैंड ,मेघालय, और मिजोरम, में चुनाव नही कराए जाते है
तथा पश्चिम बंगाल में दार्जलिंग मणिपुर के स्वायत्तशासी क्षेत्र में भी ये संसोधन लागू नही होता।
पंचायती राज्यववस्था से सबंधित सबंधित किसी भी प्रकार का प्रश्न या dought , आप कमेंट के द्वारा कर सकते है।। हम reply जरूर करेंगे।
Ar
ticle 243O,Article243N Article243D,Article243L,Article243K
#Article243J,Article243I,Article243H,Article243D,Article243C,Article243B
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